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Tuesday, February 8, 2011

ब्लॉग जगत में मेरा पदार्पण

ब्लॉग जगत में मेरा पदार्पण प्रिय भाई खुशदीपजी की हार्दिक शुभ प्रेरणा  उत्साहवर्धन से हो रहा है. खुशदीपजी से आत्मीय सम्बन्ध मेरे लिए अनमोल है. दिसम्बर २०१० में मैं उनके घर अपनी पत्नी के साथ गया था. बातचीत के दौरान ही उन्होंने मुझे ब्लॉगिंग के बारे में बताया और ब्लॉग लिखने को प्रथम बार  प्रेरित किया. उनके ब्लॉग 'देशनामा' से भी मैं तभी परिचित हुआ. मैंने उनके देशनामा पर लिखे लेखो को पढ़ा और इसी माध्यम से मुझे अन्य ब्लॉग्स देखने  पढने का मौका मिला. कुछ ब्लोग्स पढ़कर तो मै अभिभूत हो गया और उन पर अपनी  टिपण्णी करे बगैर  न रह सका. डॉ दिव्याजी, डॉ श्याम गुप्तजी, प्रवीण पाण्डेयजी, वंदना गुप्ताजी, अंजना गुडिया जी, खुशदीप भाई आदि के ब्लोग्स पर जिज्ञासावश मैंने अपनी टिपण्णी करना भी शुरू कर दी. इसका एक कारण तो यह कि टिपण्णी करना आसान है दूसरा ये कि अपने मन के भावो और प्रतिक्रियाओं को भी इस प्रकार से  व्यक्त करना सरल है. चूँकि ब्लॉग जगत में मै बिलकुल नया व अनुभवहीन था इसीलिए ब्लॉग नहीं लिख पा रहा था. कुछ समय न मिल पाना भी मजबूरी रही. परन्तु हाल ही में खुशदीप भाई के साथ ४ फ़रवरी २०११  को एक ब्लोगर्स मिलन में जाना हुआ, जो आदरणीय समीरलालजी 'समीर'(ब्लॉग-उड़न तश्तरी) के कनाडा जाने की विदाई के फलस्वरूप खुशदीप भाई,  गीताश्रीजी व सर्जना शर्माजी ने आयोजित किया था. बहुत ही अच्छा लगा ब्लोग्स जगत के प्रबुद्ध ब्लोगर्स जनों से मिलकर जिनमे अविनाश वाचस्पतिजी, अजयकुमार झा जी, श्रीमती एवं श्री समीरलाल जी, शाहनवाज जी, महफूजजी, इरफ़ानजी, वंदनाजी, श्रीमती एवं श्री राजीव तनेजाजी, रविन्द्र प्रभातजी, गीताश्रीजी, सर्जना शर्माजी, शम्भूजी, वीरेंद्र संगरजी जैसी हस्तियों के दर्शन हुए और उनकी वार्तालाप सुनने का मौका भी मिला. खुशदीप भाई ने मेरा सभी से परिचय करवाया और बताया की मै मेरे 'मनसा वाचा कर्मणा' ब्लॉग के माध्यम से ब्लॉग जगत में प्रवेश करना चाह रहा हूँजिसमे मन, वाणी, कर्म और धर्म सम्बन्धी बातो पर विचार विमर्श होता रहेगा. आदरणीय समीरलालजी ने अंत में ब्लॉग जगत के बारे में अनेक महत्वपूर्ण विचारो से अवगत कराया और नए  ब्लोगर्स को बढ़ावा देने पर उन्होंने विशेष जोर दिया. चलते चलते उन्होंने मुझे अपनी हाल ही में प्रकाशित पुस्तक "देख लूँ तो चलूँ" कि प्रतिलिपि भी प्रदान की. इस पुस्तक के कुछ रोचक प्रसंग भाई खुशदीप जी ने अपने ब्लॉग "देशनामा" पर बहुत खूबसूरत ढंग से प्रस्तुत किये हैं और उपरोक्त  ब्लॉगर मिलन के बारे में भी  "देशनामा" पर सचित्र कमेंटरी प्रस्तुत की है. वंदना जी ने तो अपने ब्लॉग ज़िन्दगी...एक खामोश सफ़र पर काव्यात्मक रूप से इस ब्लॉगर मिलन का अतिसुन्दर वर्णन किया है.

यूँ  तो साइंस का विद्यार्थी होने के नाते शुरू में मै इंजिनियर बना, फिर इंजीनियरिंग के दौरान ही प्रथम बार स्वामी विवेकानंद जी को पढने का मौका मिला और फिर महात्मा गाँधी,  अरविंदो, राजा भर्तहरी, चैतन्य महाप्रभु, लोकमान्य तिलक, सुभाष चन्द्र बोश आदि के जीवन दर्शन को भी पढ़ा. फलस्वरूप अपने साइंस के ज्ञान और चिंतन के आधार पर ही नास्तिकता से आस्तिकता की ओर बढ़ता चला गया. इसी कारण भगवदगीता, उपनिषद, रामायण, भागवत आदि ग्रंथो को भी पढने ओर उनको वैज्ञानिक आधार  से जानने की चेष्टा में रत हूँ . मेरा मानना है कि इन ग्रंथो के सम्बन्ध  में हमे अधकचरे सुने सुनाये ज्ञान पर निर्भर न होकर स्वयं पढने ओर विवेकपूर्ण तरीके से जानने की कोशिश करनी चाहिए. भगवद्गीता तो तिलक, गांधीजी, अरविंदो, डॉ.राधाकृष्णन जैसी अनेक महान हस्तियों के जीवन का आधार ही रही है. विश्व कि अनेक भाषाओँ में इसका अनुवाद  हुआ है. फिर भी ऐसे महान ग्रन्थ को  हम केवल पूजा की वस्तु  या शपथ के लिए ही इस्तमाल करे तो उचित सा प्रतीत नहीं होता. मन, वाणी और कर्म भगवान की मनुष्य को दी गयी अनुपम देन है और भगवद्गीता में इन के बारे में वैज्ञानिक ढंग से प्रकाश डाला गया है. ब्लॉग जगत में शुभारम्भ मैं इसीलिए 'मनसा  वाचा  कर्मणा' के माध्यम से भाई खुशदीप जी को यह ब्लॉग समर्पित करते हुए कर रहा हूँ. सभी ब्लोगर्स जन से उनकी  सर्जनात्मक टिप्पणिओं के माध्यम से उत्साह वर्धन की आशा रखता हूँ.

24 comments:

  1. राकेश जी, ये तो मेरा सौभाग्य होगा कि मुझे अब आपको नियमित रूप से पढ़ने का मौका मिलता रहेगा...मैं तो बस माध्यम बना हूं आपको ब्लॉग के विशाल सागर में लाने का...अब आप खुद भी इसमें गोते लगाइए और हमें भी अपनी विचार-गंगा से निहाल करते रहें...

    एक अनुरोध और, कमेंट्स की सैटिंग में जाकर वर्ड वेरीफिकेशन या शब्द पुष्टिकरण वाले कॉलम को ऑफ कर दें, इससे टिप्पणी देने वालों को असुविधा होती है...

    जय हिंद...

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  2. राम राम, दुआ सलाम की हो ली, अब जल्‍दी-जल्‍दी आगे बढें.

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  3. लगता है आप के साथ खूब जमेगी।
    और ये वर्ड वेरीफिकेशन हटा दें। इस से टिप्पणीकार को परेशानी होती है।

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  4. ब्लॉग जगत मे आप जैसे लोगों की बहुत ज़रूरत है... आशा करते हैं आपके अनुभव और ज्ञान से हिन्दी ब्लोगिंग समृद्ध होगी... स्वागत करते हैं आपका

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  5. स्वागत है आपका..नियमित लेखन हेतु अनेक शुभकामनाएँ.

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  6. हमें एक विद्वान व्‍यक्ति के विचार पढ़ने का अवसर मिलेगा इसके लिए सभी ब्‍लागरों को बधाई। आपकी अगली पोस्‍ट के इंतजार में।

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  7. आपका स्वागत है राकेश जी । आईये और छा जाईये । शुक्रिया तो खुशदीप भाई का भी जो उन्होंने हमें आपसे और आपको हमसे मिलवाया । हमें पूरा विश्वास है कि आपकी लेखनी हिंदी ब्लॉगिंग को समृद्ध करेगी । असीम शुभकामनाएं

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  8. ham aapke ujjwal blogging ki kamana karte hai .
    aap ka blog jagat main swagat hai.
    bhai khusdeep ji ko dhanviyad jo ki samay samy par
    kuch na kuch naya karne ki chahat rakhate hai ---------------------------jai baba banaras---

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  9. धर्म के प्रति एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखने वाले समझदार ब्लोगर का ब्लॉग जगत में स्वागत है...उम्मीद है धर्म की रूढ़ी वादी परम्पराओं को तोड़ते हुए आप नए ढंग से उसकी व्याख्या करेंगे...ये सच है के हम लोग धर्म ग्रंथों का मर्म न समझ कर सिर्फ उसमें वर्णित कहानियों में ही अटके रहते हैं...कर्म काण्ड करते हुए मूल तत्वों को अनदेखा कर देते हैं...धर्म मनुष्य को मनुष्य से जोड़ने का काम करता है न की तोड़ने का...हम अपने अपने धडों में बंटे लोग धर्म का अनादर कर रहे हैं...
    आपको एक दिलचस्प वाक्य बताता हूँ...मेरे पास कुछ लोग आये बोले आप पंजाबी हैं इसलिए हम सपत्निक आपको पंजाबी समाज में आने का निमंत्रण देते हैं...मैंने कहा के भाई मेरी पत्नी राजस्थान की हैं और मारवाड़ी हैं इसलिए हम आपके समाज के साथ नहीं जुड़ सकते...वो लोग निराश हुए और चले गए...एक दिन मारवाड़ी समाज वाले पत्नी श्री के पास सदस्यता के लिए गए तब उन्होंने समझाया के मेरे पति तो पंजाबी हैं सो मैं कैसे आपके समाज की सदयस्ता लूं...भाषा के आधार पर समाज वालों से निपटे तो धर्म वाले आ गए...मुझे बोले आप ब्राह्मन हैं इसलिए ब्राह्मन समाज की सदस्यता लेलो...मैंने मुस्कुराते हुए कहा के मेरी पत्नी वैश्य हैं इसलिए आप मुझे क्षमा करें...वैश्य समाज वाले पत्नी के पास पहुंच गए...लेकिन उन्हें भी असफलता मिली...मैंने उन्हें कहा भाई अगर कोई मानव समाज है तो उसकी सदयस्ता हमें देदो...वो हमारा मुंह देखने लगे...आखिर इन सभी समाज वालों ने हमें मिल कर सरफिरा घोषित कर दिया...

    नीरज

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  10. ब्लाग जगत मे आपका स्वागत है। खूब लिखिये हमे भी कुछ ग्यान होगा। शुभकामनायें। अगर वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें तो सुविधा रहेगी । बाकी खुशदीप जी से पूछ लें। आभार।

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  11. राकेश जी
    ब्लोग जगत मे आपका हार्दिक स्वागत है……………आपके लिखने के ढंग से ही पता चल रहा है कि हम कितना लाभान्वित होने वाले हैं……………धर्म के प्रति लोगो के मनो मे बैठी भ्रांतियो को दूर करने मे सहायक सिद्ध होंगे साथ ही हमारा ज्ञानवर्धन होगा इसकी उम्मीद करते हैं।

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  12. एक इंजिनियर और वेदों पुराणों की व्याख्या , धर्म के मर्म को समझना और लिखना , रोचक जान पड़ता है । हमें आपकी व्याख्यओं और मीमांसाओं की प्रतीक्षा रहेगी , ब्लॉग परिवार में आपका स्वागत है

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  13. आपका बहु आयामी व्यक्तित्व हिंदी ब्लाग जगत को एक नई दिशा देने में अवश्य कामयाब होगा, अनंत शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  14. ब्लॉग जगत में आपका तहे दिल से स्वागत है ।

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  15. आपका स्वागत है ... हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएं !

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  16. आप लिखें, आपका स्वागत है..

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  17. आपका स्वागत है राकेश जी, धन्यवाद

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  18. शुभकामनायें !

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  19. ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है आशा करता हूँ की आप की उपस्थिति से कुछ सुखद ठंडक प्रदान होगी !
    सादर !

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  20. आपका स्वागत .. गुणीजनों की सर्वथा जरूरत रहती है ..सादर

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  21. हम ठहरे लेट लतीफ सो आपका स्वागत करने में भी देर से ही पहुँचे, परतु फिर भी अपनी आमद दर्ज़ कराने की इच्छा है।
    कुछेक पोस्ट पढ ली हैं और यह तय है कि आपसे बहुत कुछ सीखने को मिलने वाला है।

    धन्यवाद - आपका भी और खुशदीप जी का भी!

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