मेरी पिछली पोस्ट 'हनुमान लीला भाग-५' में प्रेम सरोवर जी और डॉ. टी एस दराल जी ने मुझे विषयान्तर और विषय में विविधता लाने की सलाह दी है. मुझे लेखन का अधिक अभ्यास नही है.अभी तक जो विषय मुझे दिल से प्रिय है, उसी पर मैंने अपनी सोच आप सभी सुधि जनों के समक्ष रक्खी और आप सुधि जनों ने उसका स्वागत ही नही किया बल्कि सुन्दर टिप्पणियों से मेरा भरपूर उत्साहवर्धन भी किया है . 'हनुमान लीला' की अगली कड़ी आपके समक्ष प्रस्तुत करने से पहले,मेरा विचार है कि इस बार कुछ विषयान्तर कर लिया जाये .
इस पोस्ट में मैं 'ब्लोगिंग में 'फालोअर्स' का क्या महत्व है' पर मैं आप सभी के विचार जानना चाहूँगा.
मई २०१२ में मुझे अमेरिका जाने का अवसर प्राप्त हुआ था. मैं सरू सिंघल जी के ब्लॉग 'Words' का फालोअर
और रीडर रहा हूँ,जो अमेरिका में न्यू जर्सी में रहती हैं.मैं अमेरिका की प्रमुख हिंदी चैनल 'ITV' के Director अशोक व्यास जी के ब्लॉग Naya Din Nayee Kavita का भी फालोअर और रीडर हूँ,जो न्यूयॉर्क में रह रहे हैं.मैंने अपने अमेरिका के प्रोग्राम की सूचना जब सरू सिंघल जी और अशोक व्यास जी को दी तो दोनों ने ही मेरे अमेरिका आने का दिल से स्वागत किया और अमेरिका में हम तीनों को न्यूयॉर्क में मिलने का सुअवसर मिला.इस मिलन में अशोक व्यास जी ने सरू जी और मुझ से हिंदी ब्लोगिंग पर अपने विचार और अनुभव प्रस्तुत करते हुए ITV चैनल के लिए एक प्रोग्राम शूट करने का प्रस्ताव किया,जिसके फलस्वरूप ३१ मई २०१२ को सरू जी और मुझे ब्लोगिंग के बारे में अपने विचार और अनुभव प्रस्तुत करने का ITV चैनल पर सुनहरा मौका मिला. इसका श्रेय मैं ब्लोगिंग में अपनी 'फालोइंग' और 'रीडिंग' को ही देना चाहूँगा.
क्योंकि सरू जी और अशोक जी के ब्लोग्स की फालोइंग से ही समय समय पर मैं इनके द्वारा लिखी गयी पोस्ट पढ़ पाया और फिर आपसी विचारों के आदान प्रदान से मुझे निकटता और घनिष्ठता का अनुभव हुआ..
मेरे और सरू जी के इंटरव्यू का यू ट्यूब लिंक http://youtu.be/IcWHN6UzHKI अशोक व्यास जी ने
दिया है.जिसका अवलोकन आप सभी सुधिजन कर सकते हैं.इस इंटरव्यू में मैंने और सरू जी ने
'ब्लोगिंग में फालोअर्स की महत्ता' के बारे में भी अपने अपने विचार प्रकट किये हैं. यह इंटरव्यू करीब
२५-२६ मिनिट का है. जो भी सुधिजन इसे पूरा देखना चाहें वे पूरा देखें.लेकिन जिन के पास समय का
अभाव है उनसे मेरा अनुरोध है कि वे अंतिम के १० मिनिट का इंटरव्यू अवश्य देखें.
इस इंटरव्यू पर निधि जी ने उक्त यू ट्यूब लिंक पर अपने निम्नलिखित विचार प्रस्तुत किये हैं.
Readers are a subset of Followers only. Followers like what you write on your blog, no matter how these followers were made...among these, there are some genuine ones who truly like your style of writing & want to keep themselves up-to-date about your blog. They may not read you due to various constraints (time, language). They can't be totally ignored and disregarded. After all, a superstore's popularity is determined not only by buyers but by the footfalls, window shoppers & loiterers too!
किसी भी ब्लॉग को 'रीडिंग' करने में उसके 'फालोइंग' करने से बहुत सुविधा हो जाती है.मेरी समझ में किसी भी ब्लॉग पर बहुत से फालोअर्स को देखकर उस ब्लॉग को सम्मानित दृष्टि से भी देखा जाता है. ब्लॉग के अधिकतर रीडर्स 'फालोअर्स' में से ही होते हैं.यह जरूरी नही है कि सभी फालोअर्स हमेशा 'रीडर' बने रहें.इसके बहुत से कारण हो सकते हैं. फालोअर्स के पास समयाभाव, फालोअर्स के ब्लॉग पर ब्लोगर का न जा पाना,फालोअर्स की रूचि में परिवर्तन होना,पोस्ट की भाषा और विषय को फालोअर्स द्वारा न समझ पाना, ब्लोगर और फालोअर्स के बीच कोई मतभेद हो जाना आदि आदि.
मुझे अपने ब्लॉग के सभी फालोअर्स बहुत अच्छे लगते हैं.हालाँकि न तो सभी फालोअर्स के ब्लोग्स पर मैं जा पाता हूँ और न ही सभी फालोअर्स मेरे ब्लॉग पर आ पाते हैं,परन्तु फिर भी मुझे मेरे फालोअर्स प्यारे है.रीडर्स और फालोअर्स दोनों के बढते रहने से मेरा उत्साहवर्धन होता है.फालोअर्स मेरे लिए सम्मानित अतिथि हैं,जिनको अपने ब्लॉग पर देख कर मुझे हर्ष होता है.स्वस्थ ब्लोगिंग की दृष्टि से क्या फालोअर्स को बिलकुल नजरअंदाज किया जाना चाहिये ? क्या फालोअर्स जो रीडर नही हैं को भी रीडर बनने के लिए, यदि संभव हो सके, प्रोत्साहित नही किया जाना चाहिये ? क्या रीडर्स को फालोअर्स बनने के लिए आमंत्रित नही किया जाना चाहिये ? क्या फालोइंग का आमंत्रण देने में कोई हानि है?मेरी समझ में तो ब्लोगिंग बिना फालोइंग और रीडिंग के अधूरी सी ही है.
सरू जी , मेरे और निधि जी के विचार आपके समक्ष प्रस्तुत हैं. सरू जी के पाठकों ने अपने अपने विचार उनकी पोस्ट "Discussion on Blogging on ITV Gold": पर प्रस्तुत किये हैं.
'ब्लोगिंग में फालोअर्स का क्या महत्व है' पर आप सुधि जनों के विचार और अनुभव भी मैं अपनी इस पोस्ट पर विशेष रूप से जानना चाहूँगा.
कृपया, अपने बहुमूल्य विचारों और अनुभवों से उचित मार्गदर्शन कीजियेगा.
.
इस पोस्ट में मैं 'ब्लोगिंग में 'फालोअर्स' का क्या महत्व है' पर मैं आप सभी के विचार जानना चाहूँगा.
मई २०१२ में मुझे अमेरिका जाने का अवसर प्राप्त हुआ था. मैं सरू सिंघल जी के ब्लॉग 'Words' का फालोअर
और रीडर रहा हूँ,जो अमेरिका में न्यू जर्सी में रहती हैं.मैं अमेरिका की प्रमुख हिंदी चैनल 'ITV' के Director अशोक व्यास जी के ब्लॉग Naya Din Nayee Kavita का भी फालोअर और रीडर हूँ,जो न्यूयॉर्क में रह रहे हैं.मैंने अपने अमेरिका के प्रोग्राम की सूचना जब सरू सिंघल जी और अशोक व्यास जी को दी तो दोनों ने ही मेरे अमेरिका आने का दिल से स्वागत किया और अमेरिका में हम तीनों को न्यूयॉर्क में मिलने का सुअवसर मिला.इस मिलन में अशोक व्यास जी ने सरू जी और मुझ से हिंदी ब्लोगिंग पर अपने विचार और अनुभव प्रस्तुत करते हुए ITV चैनल के लिए एक प्रोग्राम शूट करने का प्रस्ताव किया,जिसके फलस्वरूप ३१ मई २०१२ को सरू जी और मुझे ब्लोगिंग के बारे में अपने विचार और अनुभव प्रस्तुत करने का ITV चैनल पर सुनहरा मौका मिला. इसका श्रेय मैं ब्लोगिंग में अपनी 'फालोइंग' और 'रीडिंग' को ही देना चाहूँगा.
क्योंकि सरू जी और अशोक जी के ब्लोग्स की फालोइंग से ही समय समय पर मैं इनके द्वारा लिखी गयी पोस्ट पढ़ पाया और फिर आपसी विचारों के आदान प्रदान से मुझे निकटता और घनिष्ठता का अनुभव हुआ..
मेरे और सरू जी के इंटरव्यू का यू ट्यूब लिंक http://youtu.be/IcWHN6UzHKI अशोक व्यास जी ने
दिया है.जिसका अवलोकन आप सभी सुधिजन कर सकते हैं.इस इंटरव्यू में मैंने और सरू जी ने
'ब्लोगिंग में फालोअर्स की महत्ता' के बारे में भी अपने अपने विचार प्रकट किये हैं. यह इंटरव्यू करीब
२५-२६ मिनिट का है. जो भी सुधिजन इसे पूरा देखना चाहें वे पूरा देखें.लेकिन जिन के पास समय का
अभाव है उनसे मेरा अनुरोध है कि वे अंतिम के १० मिनिट का इंटरव्यू अवश्य देखें.
इस इंटरव्यू पर निधि जी ने उक्त यू ट्यूब लिंक पर अपने निम्नलिखित विचार प्रस्तुत किये हैं.
Readers are a subset of Followers only. Followers like what you write on your blog, no matter how these followers were made...among these, there are some genuine ones who truly like your style of writing & want to keep themselves up-to-date about your blog. They may not read you due to various constraints (time, language). They can't be totally ignored and disregarded. After all, a superstore's popularity is determined not only by buyers but by the footfalls, window shoppers & loiterers too!
किसी भी ब्लॉग को 'रीडिंग' करने में उसके 'फालोइंग' करने से बहुत सुविधा हो जाती है.मेरी समझ में किसी भी ब्लॉग पर बहुत से फालोअर्स को देखकर उस ब्लॉग को सम्मानित दृष्टि से भी देखा जाता है. ब्लॉग के अधिकतर रीडर्स 'फालोअर्स' में से ही होते हैं.यह जरूरी नही है कि सभी फालोअर्स हमेशा 'रीडर' बने रहें.इसके बहुत से कारण हो सकते हैं. फालोअर्स के पास समयाभाव, फालोअर्स के ब्लॉग पर ब्लोगर का न जा पाना,फालोअर्स की रूचि में परिवर्तन होना,पोस्ट की भाषा और विषय को फालोअर्स द्वारा न समझ पाना, ब्लोगर और फालोअर्स के बीच कोई मतभेद हो जाना आदि आदि.
मुझे अपने ब्लॉग के सभी फालोअर्स बहुत अच्छे लगते हैं.हालाँकि न तो सभी फालोअर्स के ब्लोग्स पर मैं जा पाता हूँ और न ही सभी फालोअर्स मेरे ब्लॉग पर आ पाते हैं,परन्तु फिर भी मुझे मेरे फालोअर्स प्यारे है.रीडर्स और फालोअर्स दोनों के बढते रहने से मेरा उत्साहवर्धन होता है.फालोअर्स मेरे लिए सम्मानित अतिथि हैं,जिनको अपने ब्लॉग पर देख कर मुझे हर्ष होता है.स्वस्थ ब्लोगिंग की दृष्टि से क्या फालोअर्स को बिलकुल नजरअंदाज किया जाना चाहिये ? क्या फालोअर्स जो रीडर नही हैं को भी रीडर बनने के लिए, यदि संभव हो सके, प्रोत्साहित नही किया जाना चाहिये ? क्या रीडर्स को फालोअर्स बनने के लिए आमंत्रित नही किया जाना चाहिये ? क्या फालोइंग का आमंत्रण देने में कोई हानि है?मेरी समझ में तो ब्लोगिंग बिना फालोइंग और रीडिंग के अधूरी सी ही है.
सरू जी , मेरे और निधि जी के विचार आपके समक्ष प्रस्तुत हैं. सरू जी के पाठकों ने अपने अपने विचार उनकी पोस्ट "Discussion on Blogging on ITV Gold": पर प्रस्तुत किये हैं.
'ब्लोगिंग में फालोअर्स का क्या महत्व है' पर आप सुधि जनों के विचार और अनुभव भी मैं अपनी इस पोस्ट पर विशेष रूप से जानना चाहूँगा.
कृपया, अपने बहुमूल्य विचारों और अनुभवों से उचित मार्गदर्शन कीजियेगा.
.
विषयान्तर अच्छा लगा.
ReplyDeleteब्लॉगिंग के माध्यम से बड़े अच्छे दोस्त मिल जाते हैं .यह सही है कि जो आपको नियमित पढ़ते हैं और आप उन्हें पढ़ते हैं,उन्हीं से निकटता ज़्यादा रहती है.अधिकतर फोलोवर्स संपर्क में नहीं रह पाते.
संतोष जी,
Deleteविषयान्तर आपको अच्छा लगा,जानकर खुशी हुई.
आपके विचारों से मैं सहमत हूँ.
बहुत सी ऐसी मनोवैज्ञानिक और अन्य बाधा भी हो जातीं हैं जिससे
फालोअर रीडर नही होता या रह पाता.
जैसे कि यदि फालोअर बहुत जल्दी जल्दी पोस्टें लिख रहा हो
और ब्लोगर उस की हर पोस्ट पर न जा पाये ,
या ब्लोगर जल्दी जल्दी पोस्टें लिख रहा हो और
और उसकी हर पोस्ट पर फालोअर न आ पाए.
आपसी समझ, प्रेम और सौहार्द से फालोअर और ब्लोगर का
सम्बन्ध कायम रहता है,ऐसा मेरा मानना है.
बिना पाठक ब्लॉगिंग का उत्साह बनाये रखना कठिन है।
ReplyDeleteआदरणीय प्रवीण जी,
Deleteअधिकतर पाठक फालोअर्स में से ही होते हैं.
जो लोग फालोअर्स हैं पर किन्हीं कारणों से
पाठक नही हो पा रहें हैं पर उम्मीद
है कि वे अच्छे पाठक हो सकते हैं,
क्या ब्लोगर द्वारा उस तरफ भी ध्यान दिया जाना चाहिये?
कृपया,इस पर भी अपने विचार और अनुभव
share कीजियेगा.
ब्लोगिंग में फालोअर्स का क्या महत्व है' पर आप सुधि जनों के विचार और अनुभव भी मैं अपनी इस पोस्ट पर विशेष रूप से जानना चाहूँगा.
ReplyDeleteबेहतर पोस्ट .....!
केवल राम जी,
Deleteआपसे केवल 'बेहतर पोस्ट' का कमेन्ट नाकाफी है.
आप ब्लोगिंग पर study कर रहें हैं.
कृपया,अपना ज्ञान और अनुभव यहाँ share कीजियेगा.
फालोअर्स, पाठक और टिप्पणीकर्ता के महत्त्व को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता| बेशक बहुत से लोग स्वांत: सुखाय लेखन करते हैं लेकिन पाठकों के रेस्पांस से उत्साहवर्धन भी होता है और किसी मुद्दे पर विविध दृष्टिकोण भी जानने को मिलते हैं, ऐसे दृष्टिकोण जो कई बार अपने वाले से ज्यादा परिष्कृत होते हैं| इसके अलावा इन सबके कारण एक जिम्मेवारी का अहसास भी होता है, लेखन पर आपके फालोअर्स का और फालोअर्स पर आपके लेखन का प्रभाव, दोनों तरफ असर होता है|
ReplyDeleteआमंत्रण वाली बात पर थोड़ा सा अलग नजरिया है मेरा, ओपन ब्लोग्स पर आमंत्रित करने की जरूरत मैं नहीं समझता| ब्लोगिंग है, कोई शादी-ब्याह जैसा आयोजन नहीं है| हाँ, जो विषयविशेष केंद्रित ब्लोग्स हैं या only for invited readers ब्लोग्स हैं वहाँ ये आमंत्रण निमंत्रण हो तो ठीक है|
इंटरव्यू अभी देखना है, वैसे तो अच्छा ही होगा:)
@ हाँ, जो विषयविशेष केंद्रित ब्लोग्स हैं या only for invited readers ब्लोग्स हैं वहाँ ये आमंत्रण निमंत्रण हो तो ठीक है|
Deleteसंजय भाई,
आपके विचार बहुत अच्छे लगे जी.
आपसे सहमत हूँ जी.
मेरी पोस्ट में मुख्य बिंदु 'फालोअर्स'ही हैं.
संजय भाई शादी ब्याह में भी आप हर किसी को आमंत्रण कहाँ देते हैं.
जिन से सम्बन्ध अच्छे हैं,या जिनसे सम्बन्ध आप बढ़ाना चाहते हैं,उन्ही
को शायद आमंत्रण दिया जाता है.
इंटरव्यू देख कर भी अपने विचार प्रस्तुत कीजियेगा.
ब्लोगिंग में फालोअर्स, पाठक और टिप्पणीकर्ता का एक अपना महत्त्व है,जिसके कारण ब्लोगिंग करने में उत्साह मिलता है फालोअर्स, पाठक और टिप्पणीकर्ता के बिना ब्लोगिंग करना बेकार है,,,,,
ReplyDeleteRECENT POST ...: रक्षा का बंधन,,,,
जी ,धीरेन्द्र जी.
Deleteअधिकतर पाठक और टिप्पणीकर्ता भी शायद फालोअर्स में से ही होते हैं.
फालोअर जो पाठक और टिप्पणीकर्ता भी रहा हो या जिसकी ऐसी
सम्भावना हो पर ध्यान दिया जाना चाहिये.
मेरे कुछ फालोअर्स बहुत समय से मेरे ब्लॉग पर नही आ रहे थे.
उनके ब्लॉग पर जाकर मैंने पता किया तो ज्ञात हुआ कि वे गंभीर रूप से
अस्वस्थ चल रहे थे.उनके हालचाल पूछते रहने से उनको बहुत अच्छा लगा
और स्वस्थ होने पर वे मेरे नियमित रीडर और टिप्पणीकर्ता बने रहे.
फालोअर से प्यार इसलिए न किया जाए कि वे आपके रीडर या
टिप्पणीकर्ता नही है, ऐसा शायद नही किया जाना चाहिये.
राकेश जी , फोलो करना एक स्वैच्छिक प्रक्रिया है . जो पसंद करगा वह स्वयं ही फोलोवर बन जाता है . हालाँकि सभी पाठक भी बने रहें , यह आवश्यक नहीं . लेकिन ब्लॉगिंग में पाठक मिलना बहुत ज़रूरी है . बिना पाठकों के ब्लॉगिंग का कोई अतित्त्व नहीं है . इसी तरह पाठकों की टिप्पणियां ब्लॉगिंग को सार्थक बनाती है .
ReplyDeleteअच्छा लिखते रहने से पाठकों की भी रूचि बनी रहती है . विषय परिवर्तन करने के लिए बधाई और आभार .
शुभकामनायें .
डॉ. साहिब आपकी सलाह और शुभ प्रेरणा से मैंने यह पोस्ट लिखने का प्रयास किया है.
Deleteफालोअर बनना एक स्वैच्छिक प्रक्रिया है,इस बात से मैं सहमत हूँ.
यदि ब्लॉग्गिंग में 'फालोअर' बनने का Option समाप्त ही कर दिया जाए तो
ब्लोगिंग की रंगत में कुछ कमी तो अवश्य आ जायेगी.
इसपर भी अपने विचार शेयर कीजियेगा.
यद्यपि सभी फालोवर पाठक नहीं होते लेकिन मुझे लगता है निरंतर लेखन, अच्छा लेखन और विविधतापूर्ण लेखन फालोवर्स और पाठक की संख्या बढ़ाता है...
ReplyDeleteसादर।
आपके विचारों से पूर्णतया सहमत हूँ हबीब जी.
Deleteफालोअर्स के बारे में आपके विचारों से सहमत हूँ , जहाँ तक पाठकों का सवाल है वे यहाँ बहुत कम हैं ! व्यक्तिगत विचार से मात्र १० प्रतिशत लोग ही ध्यान से पढते हैं, हाँ इनसे प्रोत्साहन तो मिलता ही है !
ReplyDeleteसादर !
सतीश भाई,यदि अपने फालोअर्स पर कुछ ध्यान दिया जाए,
Deleteऔर इससे आपको पढ़ने वालो की संख्या भले ही १ या २ % भी
बढे तो भी बहुत खुशी और प्रोत्साहन मिलता है.
यदि फालोअर्स ही नही रहें तो पढ़ने वालो की संख्या
शायद १०% से भी और घट सकती है.
aapka swagat hai rakesh jee ..pahli bat to ye hai ki ham jo bhi likhte hain apni khushi ke liye likhte hain aur agar ham khush hain to ..jag khush padhnewale aur followers bhi mil hi jate hain ...
ReplyDeleteआपकी बात से मैं सहमत हूँ,निशा जी.
Deleteलिखने में खुशी अपनी ही होती है,और जब वह खुशी
पाठकों के बीच शेयर की जाती है तो और अच्छा
लगता है.लेखक को अपने फालोअर्स,पढ़ने वाले
और टिप्पणीकर्ता से धीरे धीरे जुड़ाव भी महसूस
होता जाता है.
लेखन का महत्व तभी है जब उसको पढ़ाने वाले हों. ब्लोगिंग में फालोवर्स महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि लिखने वाले का विषय कितना सार्थक और प्रभावशाली है उसके पाठकों की संख्या पर ही निर्भर करती है. ये जरूरी नहीं कि सभी पाठक फालोवर्स ही हों और सभी फालोवर्स ब्लॉग पर जाकर हमेशा पढ़ पायें ये भी जरूरी नहीं है. इतना अवश्य है कि टिप्पणी और पाठकों से लेखक का उत्साह वर्धन करने वाला तो होता ही है.
ReplyDeleteआपने राकेश जी बहुत ज्वलंत विषय लिया है. ब्लोगिंग में ये एक बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखने वाला विषय है.
आपकी सुन्दर प्रतिक्रिया के लिए मैं दिल से आभारी हूँ रेखा जी.
Deleteआपकी टिपण्णी से मेरा अच्छा मार्गदर्शन हुआ है.
आप दोनों का साक्षात्कार पहले ही देखा था। आपके ब्लॉग पर मेरी टिप्पणियाँ शायद स्पैम की भेंट चढ जाती हैं। कृपया चैक कर लीजिये शायद कई अन्य पाठकों के साथ भी यही हो रहा हो। दो चार टिप्पणियाँ ग़ायब होने के बाद यही लगता है कि जब श्रम से लिखी हुई बात गंतव्य तक पहुँचे ही नहीं तो भी और लिखा जाये क्या?
ReplyDeleteआपका आभार स्मार्ट इंडियन जी.
Deleteमैंने स्पैम चैक किया है,अब कोई टिपण्णी स्पैम में नही दिख रही है.
आपको हुई असुविधा के लिए मुझे खेद है जी.
आपके लिखने से मेरा उत्साहवर्धन होता है.
नाराज न होईयेगा प्लीज.
धन्यवाद राकेश जी!
Deleteफ़ौलोअर्स की गिनती निश्चय ही सुकून देती है .... लेकिन ज़रूरी नहीं की सभी फ़ौलों करने वाले पोस्ट को पढ़ें .... हाँ ब्लोगिंग में टिप्पणियाँ अपना महत्त्व हमेशा रखती हैं .... जो बिना पढे ही टिप्पणियाँ दे देता है ये उसके ज़मीर की बात है पर वो दो शब्द भी उत्साहवर्धन तो करते ही हैं । ब्लोगिंग से बहुत से लोगों से परिचय होता है कुछ बहुत अपने भी बन जाते हैं ... वैसे भी लेखन से काफी कुछ लोगों के विचारों के बारे में जानने का अवसर मिल जाता है ..... लेकिन रीडर हम पकड़ कर नहीं ला सकते ....
ReplyDeleteआपकी सुन्दर टिपण्णी मेरा अच्छा मार्गदर्शन कर रही है,संगीता जी.
Deleteमेरा मानना है कि फालोअर/रीडर से यदि दिल से लगाव हो लेखक
का तो वह कभी न कभी पकड़ में आ ही जाता है.हाँ,बिना अच्छे
लेखन के यह संभव नही होता है.बाकी जैसी राम जी की इच्छा.
फोलोवर की संख्या कभी यह तय नहीं आकर सकती कि आप अच्छा ही लिखते हैं..हाँ आप की लोकप्रियता को ज़रूर माप सकती है.दूसरे,हिंदी ब्लॉग्गिंग में पढ़ने वले कम ही हैं कई होते हैं जो आप के ब्लॉग के फोलोवर न हों परंतु उन्होंने अपनी रीडिंग लिस्ट में आप को जोड़ रखा हो .वे टिप्पणी भी न करें लेकिन पढते ज़रूर होने ..सब के अपने कारण हैं.खासकर जो लोकप्रिय हैं जिनके फोलोवर की संख्या अधिक है उन में कई लोगऐसे भी जुड़ते हैं जो सिर्फ अपनी उपस्थिति आप के पेज पर बनाये रखना या अपने प्रचार के लिए जुड़ते हैं.कुछ तो अपना परिचय छुपा कर आप के फोलोवेर में साथ जुड़ते हैं .
ReplyDeleteमेरे विचार में फोलोवर सिर्फ पढ़ने वाले नहीं होते .उनके अन्य उद्देश्य भी हो सकते हैं .
अब कभी कभी कोई अंग्रेज टाईप के या संदिग्ध प्रोफाईल भी जुड जाते हैं,उनका चित्र दिखता रहेगा आप के पेज पर..उनका अलग उद्देश्य होता है ऐसे फोलोवर को ब्लोक करना पड़ता है ..मैं ऐसे २ को ब्लोक कर चुकी हूँ .
एक बात और जो फोलोवर होते हैं वे रीडर में सब पढ़ लेते हैं आप के ब्लॉग तक आने का कष्ट नहीं करते.
मुझे नहीं लगता कि फोलोवर की संख्या की इतनी अधिक महत्ता है !
हिंदी ब्लॉग्गिंग में 'एक हाथ से लो, एक से दो 'वाला हिसाब चलता है ..आप कहीं टिप्पणी करेंगे तो आप के यहाँ वो आयेंगे अन्यथा बहुत ही कम होंगे जो खुद न लिखते हों और सब जगह टिप्पणी देते हों.और बहुत ही कम ऐसा लिखनेवाले हैं जो खुद कहीं जाते न हों और टिप्पणियों की भरमार रहे!हो सकता है वे दूसरे माध्यम से उनके लेख पर टिपियाते हों..लेकिन जब तक आप अपनी उपस्थिति दर्ज़ नहीं करायेंगे दूसरे भी आप का हाल पूछने नहीं आयेंगे.
मेरे विचार में यही है फोलोवर और रीडर में अंतर..आमंत्रण न ही दें.. तो बेहतर ..मुझे लगता है यहाँ कोई पसंद नहीं करता यहाँ कि आप कहें कि आईये मेरे फोलोवर बनिये!बल्कि चिढ और जाते होंगे !:) इसलिए लिखते रहिये..औरों को पढते रहिये .लेखन की निरंतरता रीडर्स बनाये रखती है.फोलोवर की संख्या का १० % भी टिप्पणी आती हैं तो सब सही जा रहा है !अन्यथा ऐसे फोलोवर सिर्फ संख्या हैं रीडर्स नहीं !
एक बात और ब्लॉग्गिंग में अच्छे लेखक ही लोकप्रिय है या लोक प्रिय ब्लोगर ही अच्छा लेखक यह बिलकुल ज़रुरी नहीं !न जाने कितने फेक्टर्स हैं जिन से फोलोवर बढ़ाये जा सकते हैं ,,,,मसलन कल ही एक मोहतरमा का फेसबुक पर प्रोफाईल देख रही थी ,कविताएँ लिखती हैं लेकिन फेसबुक पर दक्षिण भारत की नयी अभिनेत्री की तस्वीरें लगा रखी है[जिसे हम आप नहीं जानते ,लोग वह वाही कर रहे हैं कोई ४०००[जी हाँ चार हज़ार ] तो लायीक्स ही थे..२०० शेयर! ब्लॉग के फोलोवर भी ५०० ..लकिन कविताएँ..एक दम बेकार! टिप्पणियाँ नाम मात्र को ..तो क्या ऐसी लोकप्रियता या फोलोवर की संख्या की कोई महत्ता है?..आत्ममुग्धता बढ़ाने हेतु ही यह संख्या उत्साह भरती होगी ..वर्ना एक लेखक तो अपनी रचना पर आये पढ़ने वाले के विचार से खुश होता है .फोलोवर की संख्या से उसे फर्क नहीं पड़ता!
ReplyDeleteऐसा लगता है मेरी पहली टिप्पणी स्पैम में गयी!लंबी चौड़ी टिप्पणी की थी राकेश जी...कृपया स्पैम फोल्डर देखीये!
ReplyDelete३ टिप्पणी कर चुकी हूँ ...स्पैम फोल्डर चेक करें प्लीज़!
ReplyDeleteअल्पना जी,
Deleteनमस्कार,
मैंने आपकी सभी टिप्पणियाँ 'Not Spam' कर दी हैं.
आपकी विस्तृत टिप्पणियों के लिए आभारी हूँ.
आपके विचार और अनुभव से बहुत अच्छा मार्ग दर्शन हुआ है मेरा.
मेरी पोस्ट में मेरा आशय Genuine followers की तरफ ध्यान
देने से है.बहुत से कारण हो सकते हैं फालोअर्स के रीडर न रह पाने के.
ब्लोगर द्वारा जिन कारणों को दूर किया जा सके उन ही पर ध्यान देने की मैं
यहाँ बात कर रहा हूँ.मेरी समझ में इससे निकटता आ पाती है और कुछों से
सम्बन्ध घनिष्ठ भी हो जाते हैं.मेरा मानना है कि निजीता के पुट से ब्लोगिंग
समृद्ध हो सकती है.
आपके इस सम्बन्ध में क्या विचार है और जानना चाहूँगा.
अल्पना जी ने निम्नलिखित उत्तर मेल से
Deleteप्रेषित किया है:-
जी हाँ राकेश जी सही कहा आप ने.
ब्लॉग्गिंग का एक पक्ष यह भी है .
बहुत-बहुत धन्यवाद.
सादर,
अल्पना
फॉलोअर्स हों या रीडर्स यै फिर चटका लगा कर जाने वाले, हमें तो सभी प्रिय हैं पर प्राथमिकता तो रीडर्स को ही है जो टिप्पणी भी करते हैं । सिर्फ आंकडे तो उत्साह नही बढा पाते ।
ReplyDeleteआशा जी,
Deleteक्या ब्लोगर को अपने फालोअर्स को बिलकुल नजरंदाज करना चाहिये.
विशेषत;उनको जो अच्छे रीडर रहें हों,या अच्छे रीडर हो सकते हैं.
जो फालोअर्स रीडर हैं उनसे तो प्यार स्वाभाविक होता ही है.
मेरे अनुसार प्यार तो सभी genuine फालोअर्स से किया जाना चाहिये,
भले ही वे रीडर हों या न हों.
हाँ,जैसा कि अल्पना जी ने बताया, in-genuine followers
से तो बचकर ही रहना चाहिये.
रोचक व समृद्धशाली पोस्ट ....शुभकामनाएं जी /
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार,उदय भाई.
Deleteफालोअर्स, पाठक और टिप्पणीकर्ता ब्लोग लेखन में इनका बहुत बड़ा योगदान है ..इनके बिना ब्लांगिग करना निरर्थक सा लगता है..सारे फालोअर्स पाठक नही होते ये बात तो सही है ..टिप्पणियों से प्रोत्साहन मिलता ही है !
ReplyDeleteयह सही है कि सारे फालोअर्स पाठक नही होते,पर अधिकाँश पाठक
Deleteफालोअर्स में से ही होते हैं.
और जब कोई पाठक फालोअर भी बनता है,तो अच्छा लगता है,महेश्वरी जी.
इस विस्तृत जानकारी एवं प्रस्तुति के लिए आपका आभार
ReplyDeleteसदा जी,आपका भी आभार जी.
Deleteमेरी समझ से फोल्लोवेर्स ब्लॉग्गिंग में एक अहम् भूमिका निभाते है. शुरुआत के दिनों में मुझे याद है कैसे एक फोल्लोवेर भी बढा हुआ देखते थी, तो ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहता था. आज हो सकता है ख़ुशी 'उतनी' न होती हो, परन्तु ख़ुशी ज़रूर होती है की हाँ... किसी को हमारा लेख पसंद आया है, किसीने उतना वक्त निकला है हमारा ब्लॉग फोल्लो करने का. रीडर्स जो कमेन्ट भी करते है, उनके बारे मैं तो जितनी तारीफ़ की जाए कम है. वो हमें लिखते रहने की प्रेरणा देते है, विश्ववास दिलाते है की हम अकेले नहीं, अपितु वह भी हमारे साथ है, जिसे हमारी हौसला अफ्साई भी होती है और हमे विचारो का आदान प्रदान करने का अवसर भी मिलता है.
ReplyDeleteमैंने आपका और सरू जी का interview देखा है, आप दोनों को बधाई. बहुत अच्छी चर्चा का विषय है, सुन्दर व्याख्यान के साथ. अनेको धन्यवाद, इसे शेयर करने के लिए.
जब भी कोई रीडर,या टिप्पणीकर्ता फालोअर भी बनता है तो खुशी होती है.
Deleteयदि वह फालोअर न बने तो अधूरापन सा लगता है.
आपने इंटरव्यू देखा,इसके लिए हार्दिक आभार आरती ... जी.
जब प्रश्न ब्लॉगिंग के लिए उर्जा प्राप्त करने का हो, निश्चित ही फोलोअर, टिप्पणीकार, पाठक सभी महत्वपूर्ण है।
ReplyDeleteकिन्तु फोलोअर व टिप्पणियों की मात्र संख्या का कोई विशेष लाभ नहीं है, सिवाय आत्ममुग्धता पोषण के।
लेखक-ब्लॉगर जब अपनी वैचारिकता पर सार्थक प्रतिभाव चाहता है तब एक गम्भीर वैचारिक टिप्पणी का महत्व अनंतगुना बढ़ जाता है। दृष्टिकोण को व्यापक बनाने के लिए गम्भीर पाठक चाहिए, ब्लॉगिंग का यह लाभ है कि लेखक प्रतिभाव जान सकता है और पाठक प्रतिक्रिया दे सकता है। यह वैचारिक विकास का सशक्त माध्यम है। और ऐसे अनुदानी समर्थक अगर मिले तो वाकई सद्भाग्य होता है।
आपके दृष्टिकोण से पूर्णतया सहमत हूँ,सुज्ञ जी.
Deleteफालोइंग करना भी एक अहम मुददा है ब्लोगिंग में.
भले ही वह नियमित न होकर कभी कभी ही हो.
ब्लोगर फालोअर की और फालोअर ब्लोगर की
अवसर और समयानुसार खबर लेता रहे तो भी
ब्लोगिंग समृद्ध होगी.
कभी कभी मै जो मेरे ब्लॉग को फोलो करते हैं उनका प्रोफाइल खोलती हूँ तो पता चलता हैं वो कम से कम ५० ब्लॉग फोलो कर रहे हैं
ReplyDeleteअब पचास ब्लॉग की नयी पोस्ट उनके डेश बोर्ड पर आती होगी , क्या वाकयी वो उन सब पोस्ट को पढते हैं
फोलोवर इत्यादि केवल एक तकनीक हैं और कुछ नहीं , हिंदी ब्लॉग लेखो में बहस और वाद विवाद संवाद हो ही नहीं रहा हैं केवल और केवल सब बढ़िया लिख रहे हैं की टीप ही मिलती हैं जो बहुत बार बिना पढ़े ही दी जाती हैं ताकि लोग पलट कर उनके ब्लॉग पर आये
वही इंग्लिश ब्लॉग आप को कमेन्ट और प्रति कमेन्ट बहुत मिलते हैं
फालोइंग एक तकनीक है,इस बात से मैं सहमत हूँ,रचना जी.
Deleteपरन्तु,सदुपयोग,दुरपयोग करना हमारे ही हाथ में है.
तकनीक के सदुपयोग से ही ब्लोगिंग समृद्ध हो सकती है.
भाई साहब !इस पोस्ट में हिंदी लिपि स्पष्ट रूप पढ़ी नहीं जा सकी है .अंग्रेज़ी पढ़ी गई है .जो लिखा गया है अंग्रेजी में उससे असहमत होना मुश्किल है .शुक्रिया पोस्ट पर इतनी सटीक टिपण्णी कर उसे और भी महत्वपूर्ण बनाने का .
ReplyDelete_______________
ram ram bhai
सोमवार, 6 अगस्त 2012
भौतिक और भावजगत(मनो -शरीर ) की सेहत भी जुडी है आपकी रीढ़ से
भाई साहब !इस पोस्ट में हिंदी लिपि स्पष्ट रूप पढ़ी नहीं जा सकी है .अंग्रेज़ी पढ़ी गई है .जो लिखा गया है अंग्रेजी में उससे असहमत होना मुश्किल है .शुक्रिया पोस्ट पर इतनी सटीक टिपण्णी कर उसे और भी महत्वपूर्ण बनाने का .
ReplyDelete_______________
ram ram bhai
सोमवार, 6 अगस्त 2012
भौतिक और भावजगत(मनो -शरीर ) की सेहत भी जुडी है आपकी रीढ़ से
वीरू भाई,
Deleteआप हिंदी लिपि स्पष्ट नही पढ़ पाए,इसका मुझे अफ़सोस है जी.
आपकी उत्साहवर्धन करती टिपण्णी के लिए आभार.
राकेश जी,
ReplyDelete---में गुजराती भाषी हूं. कविता से लगाव है.जिन की भाषा गुजराती नहीं और जो काव्य प्रेमी है उन तक गुजराती कविता को पहुचानें की लिए पिछले कुछ दिनों से मैंने एक ब्लॉग शुरू किया है. अगर इतना पढ़ कर आप ब्लॉग की मुलाक़ात लेना चाहे तो साथ में लिंक है. आप की राय,प्रतिक्रिया अनमोल है. कृपया उससे ब्लॉग पर व्यक्त करे.आप का आभारी –राजू पटेल........ आइए मुशायरा जारी है इस लिंक पर : કવિતા સે कविता –rajupurvak : http://betweenthelines-raju.blogspot.in/
राजूजी.
Deleteआपके ब्लॉग पर जाकर अच्छा लगा.
हार्दिक आभार.
दोनों का होना जरूरी है ... लिखने की ऊर्जा दोनों से ही आती है ... भाव जरूर मन से आते हैं पर अगर पढ़ने वाला हो तो उत्साह दुगना हो जाता है ... अच्छा लेखन हो तो साथी जरूरमिलते हैं ... साथ भी चलते हैं ...
ReplyDeleteआपसे सहमत हूँ दिगम्बर नासवा जी.
Deleteआभार.
aapne ब्लॉग में folowars aur reedars ke bare में jo bhi likha है main us sab se sahmat hoon aur aapke apne folowars ko samman dene kee bat ka swagat karti hoon.sahi bhi है sabhi post ko padhna व् un par apne vichar prastut karna aasan nahi hota kintu बहुत see bar post ka adhik vistrit hona bhi uske padhne में badha paida karta है is liye jo bhi post dali jaye yadi vah kuchh sankshep में ho sakti ho to aisa hi karna chahiye.yadi mauka mila to aapka interview avashay dekhenge.use dekhne kee hamari bhi ichchha है.aapko badhai.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति.ब्लॉग जगत में आपकी प्रस्तुति संग्रहणीय है.आभार.
शालिनी जी,
Deleteकभी कभी विषय को स्पष्ट करने के लिए
पोस्ट लंबी हो जातीं हैं.परन्तु,मैं आपसे
सहमत हूँ कि कोशिश पोस्ट को संक्षिप्त
रखने की ही करनी चाहिये.लेखक और पाठकों
की रूचि का अधिकतम मिलान हो पावे तो
बहुत ही अच्छा है.
मेरे ब्लॉग पर आपके आने का हार्दिक आभार.
विषयान्तर बहुत अच्छा लगा, दर्शन से तकनीक की दुनिया. सबसे पहले आपको बहुत बहुत बधाई, अमेरिका में हिन्दी ब्लोगिंग पर चर्चा में शामिल होने के लिए. अंतिम १० मिनट नहीं बल्कि मैंने २५ मिनट ३६ सेकेंड का पूरा विडियो देखा. आपने सही कहा - ''ब्लोगिंग बिना फालोइंग और रीडिंग के अधूरी सी ही है.'' फॉलोअर्स की संख्या से मन उत्साहित होता है और रीडर्स की संख्या से लिखने की सार्थकता का अनुमान होता है. टिप्पणी से उत्साहवर्धन होता है, फलस्वरूप और भी लिखने की प्रेरणा एवं ऊर्जा मिलती है. सरू सिंघल जी ने अपनी बहुत प्यारी कविता सुनाई है, उन्हें बधाई. सार्थक परिचर्चा के लिए धन्यवाद और शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteडॉ जेन्नी शबनम जी,
Deleteआप हमेशा से ही मेरा उत्साहवर्धन करती आयीं है.
इस बार भी आपने बहुत ही अच्छे से किया है.
हार्दिक आभार जी.
"For art's sake I would not face the toil of writing a sentence."
ReplyDelete- Bernard Shaw.
इसमें कोई शक नहीं कि लेखक पाठकों से मिलने वाले प्रोत्साहन से ऊर्जा और स्फूर्ति पाता है. आखिर वो लिखता भी तो पढ़े जाने के लिए ही है. यदि एक भी पाठक लेखक को गहराई से, समझ कर, पढता है और रचना उसे कुछ सोचने या महसूस करने का मौका देती है, तो लेखन सार्थक हो जाता है.
सुन्दर टिपण्णी के लिए आपका आभार मीता पन्त जी.
Deleteकरते हैं जो अनुसरण, वरण कर रहे भाव |
ReplyDeleteसंत जनों के अनुकरण, रविकर गहरा चाव |
रविकर गहरा चाव, ध्यान से पढता गढ़ता |
ज्ञान धर्म अध्यात्म, सीढियाँ खट खट चढ़ता |
लेखक को उत्साह, राह भी दिखलाता है |
पाता खुद की थाह, सभी को खुब भाता है ||
वाह! वाह! वाह! रविकर जी.
Deleteआपका भी जबाब नही.
हार्दिक आभार.
आजकल ब्लोगिंग में फोलोअर्स केवल नाम के होते हैं... सही मायने में देखा जाये तो ब्लोगिंग आपसी लेनदेन का मसला ज्यादा लगने लगा है... आप हमारे ब्लॉग पर आकर टिप्पणी लिखेंगे, तभी हम भी आयेंगे और जहाँ तक आलोचना की बात है, वो तो कोई स्वीकार करना ही नहीं चाहता... जहाँ तक पाठक को आमंत्रित करने की बात है, अगर आप अच्छा लिखते हैं, तो पाठक इन्तजार करते हैं आपके अगले लेख का...
ReplyDeleteवैसे हम अच्छा पाठक उसे ही कहेंगे, जो भले ही आपको Follow ना करे, आपके हर लेख पर टिप्पणी भी ना करे, पर सही वक्त पर सही बात कहने से ना हिचकिचाए... यही शायद एक अच्छे दोस्त की भी पहचान है...
वैसे हम अच्छा पाठक उसे ही कहेंगे, जो भले ही आपको Follow ना करे, आपके हर लेख पर टिप्पणी भी ना करे, पर सही वक्त पर सही बात कहने से ना हिचकिचाए... यही शायद एक अच्छे दोस्त की भी पहचान है...
Deleteआपकी यह बात बहुत अच्छी लगी डॉ.गायत्री जी.
मेरे ब्लॉग पर आपके आने का हार्दिक आभार जी.
यह सच हैं की फोल्लोवेर्स यानी मित्र का होना जरुरी है ब्लॉग के लिए ... एक भी मित्र को बढ़ता हुआ देखकर बहुत ख़ुशी होती है ..जब हमारे अधिक मित्र आकर एक ही वाक्य लिख देते है तो ख़ुशी दुगनी हो जाती है और लगता है की हमारा लिखना सार्थक हुआ ..नया जोश भर गया ...पर जब कोई नहीं आता हैं तो मन उदास हो जाता है .....कई लोग कहते है की ब्लॉग क्या लिखना ? कोई नहीं आता ...? जब तक तुम लोग दुसरो के पास नहीं जाओगे, दुसरे भी तुम्हारे यहाँ नहीं आएगा ? यह सच है --- पर मैं समझती हूँ की यह भी एक सामजिक रीत के हिसाब से हैं ..जैसे समाज में रहकर हम एक दुसरे के घर आते -जाते हैं---आपस में प्रेम भाव बढ़ता है वैसे ही ब्लॉग जगत भी आपसी प्रेम का घोतक है ...
ReplyDeleteअमेरिका का सफ़र सुहाना रहा राकेशजी .....
बहुत सुन्दर दर्शन है आपका दर्शी जी.
Deleteहार्दिक आभार जी
its good to see the change.
ReplyDeletereaders are important, everyone is important as we can learn something from everyone.
Welcome and thanks sm.
DeleteI agree with you.
राकेश जी,
ReplyDeleteएक 'कृष्ण समर्थक' की तरफ से एक 'कृष्ण फोलोअर्स'को
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की अनंत शुभकामनाएँ।
कृष्णमयी टिपण्णी के लिए हार्दिक आभार,सुज्ञ जी.
Deleteऐसी लागी लगन, मीरा हो गयी मगन
वो तो गली गली हरि गुण गाने लगी...
श्रीकृष्णजन्माष्टमी की सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ.
ना जीजी, स्नान को ना जाऊंगी
ReplyDeleteनंदलाल मोरा जागे तो ?
जागने पर मोहे ना देखे तो
ये कहीं डर जाए तो .... ?
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की बधाईयाँ और शुभकामनाएं..
आवश्यक नहीं की विषयांतर हो ही, या किया ही जाए | यह लेखक के लेखन उद्देश्य पर निर्भर करता है |
ReplyDelete* कोई फोलोअर्स के लिए ब्लोगिंग करता हो, तो उसे पाठकों की रूचि के अनुसार अपने विषय चुनने होते हैं |
* कोई अपनी विचारधारा को सबसे ऊपर स्थापित करना चाहे, तो उसकी पोस्ट्स उस विचारधारा पर केन्द्रित होंगी |
* कोई खुद को समझदार और दूसरों को मूर्ख समझे / कोई सबको मान दे, कोई विविध विषयों में रूचि रखता हो - जैसी जिसकी रूचि |
* आप जैसी ब्लोगिंग कर रहे हैं - उसमे एक रस में भी बने रहना बड़ा प्यारा है - इकतारे में एक ही तार होता है, और इकतारा बजाने वाले कान्हा को भी उसी तर में तान लेते हैं | मुझे तो (निजी तौर पर) यहाँ विषयांतर बहुत अच्छा नहीं लगा - मुझे अमृत के कलश को पीते हुए स्वाद बदलने को भेल पूड़ी खाने का जी नहीं करता | :) | न मुझे मंदिर में रूचि बदलने के लिए डिस्को प्रोग्राम रखना भायेगा :) |
* एक सुझाव - यदि आप विविध विषयों पर बात करना चाहते हैं - तो आप एक और ब्लॉग बना लें, जहां आप अपने पाठकों और अपनी रूचि के अनुसार विविधता पूर्ण पोस्ट्स लिखते रहे (मेरे अपने भी अलग अलग ब्लॉग हैं जिनपर मैं अलग अलग तरह की पोस्ट्स लिखती हूँ) |
* "मनसा वाचा कर्मणा" पर तो मनसा वाचा कर्मणा एक ही चिर विषय में रमता रहा जाए, तो मीठा अनुभव रहे | वैसे मुझे यह सब कहना नहीं चाहिए - परन्तु आपने पूछा है - तो सिर्फ "पोस्ट के लिए आभार" लिख जाने का जी नहीं किया (जैसा मैं इस ब्लॉग पर अधिकतर करने में ख़ुशी महसूस करती हूँ )
शिल्पा जी दिल खोल कर आपने अपनी बात कही.
Deleteबहुत अच्छा लगा आपके विचार जानकर.
विषयांतर तो है पर मेरी इस पोस्ट में भी मेरे
ब्लॉग 'मनसा वाचा कर्मणा'की थीम ही प्रतिबिम्बित है.
फालोअर्स,रीडर्स,टिप्पणीकर्ता ब्लोगिंग की महत्वपूर्ण कड़ियाँ हैं
जिनका प्रादुर्भाव मन, वाणी और कर्म से सम्भव होता है.
फालोअर्स का ब्लोगिंग में क्या महत्व है पर आप
अपने विचार प्रस्तुत करती तो और भी अच्छा लगता.
भैया - माफ़ कीजियेगा - छोटी होकर आपको इतनी लम्बी सलाह देने निकली हूँ - किन्तु मुझे लगता है यह आपसे कहना बहुत आवश्यक है | आप सन्मार्ग के यात्री हैं, और मैं नहीं चाहती कि आप इस "फोलोवेर" दौड़ में खो जाएँ |
Deleteफोलोअर्स का अलग अलग महत्त्व है - अलग तरह के लोगों के लिए |
१. जो ब्लोगिंग "अहम् तुष्टि" को करते हों उनके लिए -
जितना ज्यादा तिजोरी में धन (फोलोवेर और टिपण्णी संख्या ) उतनी अहम् तुष्टि |
किन्तु - किन्तु - किन्तु - याद रखने की बात यह है की अहम् को जितना पोषण दिया जाए - वह बढ़ता है, फलता फूलता है, और उसकी भूख भी बढती है | अधिक फोलोवेर = अधिक प्रतियोगिता, अधिक भूख = हम अपने मूल उद्देश्य को भूल कर (माया) संख्या बढाने के लिए, सही हो या गलत, सब करने लगते हैं |
और यह न सोचियेगा कि "नहीं - मैं ऐसा नहीं हूँ " क्योंकि माया ने तो नारद को भी मूर्ख बना दिया था , हम और आप तो बहुत छोटी हस्ती हैं | माया से बचने के दो उपाय हैं - एक - माया को छोड़ कर भाग जाना (हिमालय की कंदराओं में छुप जाना "संन्यास" के नाम पर | दूसरा - जिन चीज़ों से अहम्, कम क्रोध लोभ मोहादि बढ़ने की संभावनाएं हैं, उनसे सतर्क रहना | यह हमें पहचानना ज़रूरी है कि ये चीज़ें हैं कौनसी | मुझे यह फोलोवेर और ब्लोगिंग ऐसा ही लगता है (मैं गलत हो सकती हूँ )
२. जो कुछ खजाना पाए हुए हों / कोई जानकारियाँ रखते हों - और उसे शेअर करना चाहते हों अधिकाधिक लोगों से | उनके लिए फोलोएर संख्या सिर्फ एक रिपोर्ट है इस बात की कि उनका प्रयास कितना प्रभाव कर पा रहा है | तब हम फोलोवेर्स / पाठकों की इच्छा से अपने लेखों का content नहीं बदलेंगे, बल्कि जो हम शेअर करना चाहते हैं वहीअधिकाधिक जनों तक पहुंचाएं |
३. जो राजनीति/ धर्म / विचारधारा आदि से जुड़े अपने मतों को अधिकाधिक लोगों तक पहुँचाना चाहते हैं, और दूसरों की विचारधारा अपने अनुसार ढालना चाहते हैं |
ऐसे लोगों की ब्लोगिंग अधिकतर आक्रोशपूर्ण होती है - क्योंकि उनका उ३द्दे३श्य पूरा होना तकरीबन नामुमकिन है - इश्वर को यदि पूरा संसार एक मनस्थिति का चाहिए होता - तो वे वैसा बनाते | उन्होंने जो नहीं बनाया - वह हम क्यों करना चाहते हैं ?यह असुर मनः स्थिति है - अपनी विचारधारा को इश्वर से बड़ी मान लेना | यह फोलोवेर संख्या बड़ी हो या छोटी, यह निज का पतन ही होगा हमेशा
तो हाँ, मैं फिर यही कहूँगी कि नहीं, विषय परिवर्तन इस ब्लॉग पर न ही हो तो बेहतर हो | बाकी तो आप बड़े हैं, ज्ञानी भी समझदार भी - आप मुझसे बेहतर जानते हैं |
शिल्पा बहिन,
Deleteफालोअर्स की दौड से आपका क्या तात्पर्य है ?
मेरी पोस्ट में मुददा है 'ब्लोगिंग में फालोअर्स का क्या महत्व है'
क्या ब्लोगर को अपने फालोअरस से कोई 'concern'रखना या
प्यार करना चाहिये या नही ?भले ही वे टिपण्णी करें या न करें.
यानि ब्लोगर द्वारा समय व सुविधा अनुसार उनकी सुधि लेते रहना.
जैसा कि आप मेरे ब्लॉग पर आकर करती हैं,और मैं भी कोशिश करता हूँ.
मुझे अपनी इस पोस्ट से सुधिजनों के बहुत अच्छे विचार जानने को मिले हैं
और मुझे इस विषय में बहुत सी नई जानकारी भी हुई.
यह पोस्ट निरर्थक है या कतई सार्थक नही है,ऐसा मैं नही मानता.
अध्यात्म का मुददा दिखावे का नही, व्यक्तिगत है.अहं की तुष्टि का यहाँ कोई प्रश्न नही है.
आपने जो विचार रक्खे मैं उनका सम्मान करता हूँ.
मैंने भी अपने विचार पोस्ट व टिप्पणियों के माध्यम से स्पष्ट करने की
कोशिश की है.
किसी भी मतभेद के लिए आपसे क्षमा चाहता हूँ.
:)
Deletekshama maang kar mujhe sharminda n karein bhaiya |
main apni baat poore detail me kah chuki hoon - alag alag logon ke liye folloers ke alag alag arth hain yah bhi ... aapko thes pahunchi ho - to kshama main maangti hoon :)
आपने अच्छी बातें बताईं हैं शिल्पा बहिन.
Deleteआपकी भावनाओं का सम्मान करता हूँ.
Anonymous के बजाय मेरी बहिन शिल्पा दिखलाई
देती तो बहुत खुशी होती.
जी भैया
Deleteउस वक़्त login नही थी - और कोई problem नहीं थी | आजकल कुछ बिजी रहती हूँ - पहले सोचा बाद में लोगिन हो कर टिपण्णी कर लूंगी - फिर सोचा कि छूट ही जायेगी - इसलिए ऐसे ही लिख दी थी |
नाराज़? why did you ask that i wonder ? नाराज़ तो मैं वैसे भी नहीं होती किसी से - तो यहाँ तो नाराज़ होने जैसी कोई बात ही न थी |followers के बारे में आपके अपने विचार हैं, मेरे अपने, और आवश्यक नहीं की दोनों के विचार हमेशा मिलें ही :) सहमतियां और असहमतियां तो होती ही हैं जीवन में, और होनी चाहिए भी :) रंग रंग के फूल खिलें - तब ही तो सुन्दर बाग़ होगा न ?
जन्माष्टमी पर हार्दिक शुभ कामनाएं राजेश जी |यह आर्टिकल सोचने को बाद्ध्य कर रहा है की फालोअर्स की ब्लोगिग में क्या अहमियत हो सकती है |मैं तो जब भी लिख रही थी जब केवल मेरी बहिन ही कमेन्ट डालती थी |यह अवश्य है की ईमानदारी से किये गए कमेंट्स से लेखक को प्रोत्साहन मिलता है |पर जरूरी नही कि
ReplyDeleteआपको अच्छा नहीं लगे फिर भी जबरदस्ती तारीफ करें |कभी कभी नकारात्मक कमेन्ट मन को दुखी भी करता है और लेखन अवरुद्ध करता है |अच्छा यही होता है कि यदि आपको कोइ रचना पसंद नहीं आई तो कमेन्ट ना डालें |या सकारात्मक सुझाव दें जिससे लेखन में सुधार हो सके |पर निरुत्साहित ना करें |
आशा जी आपकी इस बात से मैं सहमत हूँ कि नकारात्मक कमेन्ट मन
Deleteको दुखी करता है ,जिससे लेखन भी अवरुद्ध हो सकता है.
ब्लोगर,फालोअर,रीडर और टिप्पणीकर्ता आदि सभी को सकारात्मक दृष्टिकोण
ही अपनाना चाहिये.
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteये अनुभव तो वाकई बढिया है।
ReplyDeleteसर आप विषय के साथ साथ विषयांतर
को भी नियमित रखे..
आभार,महेंद्र भाई.
Deleteआप किस चक्कर मे पड रहे हैं राकेश जी बस आप तो अपने ज्ञान गंगा मे हम सबको अवगाहन कराते रहिये।
ReplyDeleteचक्कर तो सब ब्लोगिंग का है वन्दना जी.
Deleteमुझे बहुत खुशी है आपका ज्ञान गंगा में
अवगाहित होना.
पर फालोअर्स का ब्लोगिंग में क्या महत्व है
पर भी आपके सुविचार जानने की जिज्ञाषा है,जी.
bahut badiya prastuti..
ReplyDeletemaine bahut pahle U Tube par aapki charcha dekhi aur maine ek tipani bhi ki thi.... aaj us par lekh padhna achha laga..
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएं!
ReplyDeleteकविता जी,हार्दिक आभार जी.
Deleteमेरी शुभकामनाएँ भी स्वीकार कीजियेगा जी.
आप भी कहां फॉलोअर्स-आलोअर्स के चक्कर में पड़ गए. आप अपना मन-भाता करें. बात डॉक्टर साहब की भी सही है कि रोज़ रोज़ एक ही खाना कोई भी नहीं खाता पर हां अपने ही खाने में भी तो विविधता होती ही है .... वही पोस्टों में भी लाई जा सकती है
ReplyDeleteआभार,काजल कुमार जी.
Deleteराकेश जी आपका इंटर व्यू देखना बहुत सुखद लगा सरू जी और अशोक व्यास जी से इस रिकार्डिं के माध्यम से पहली बार परिचय हुआ है बहुत अच्छा लगा देख कर बहुत अच्छे विषय पर चर्चा हुई सरू जी और अशोक जी से भी जुड़ने का प्रयास करुँगी |इस विडियो की जानकारी देने के लिए राकेश जी आपकी आभारी हूँ | फोलोवर्स के विषय में इतना कहूँगी की हाँ फोलोवर्स होने से उनके डेशबोर्ड पर हमारी नई रचना की जानकारी मिलती है उत्साह वर्धन भी होता है पर फोलोवर्स कैसे बढ़ते हैं मैं आज तक नहीं जान पाई जब की मैं जिसके ब्लॉग पर भी जाती हूँ जरूर फोलो करती हूँ कोई मुझे करे या ना करे जो भी मेरे फोलोवर्स हैं उनका मैं बहुत सम्मान करती हूँ हर संभव उनके ब्लॉग पर जाने व पढने की कोशिश करती हूँ मेरी रचनाएं मुट्ठी भर विद्ध्व जन पढ़ें सराहें उन्ही में खुश हूँ हाँ टिपण्णी आने से उत्साह वर्धन होता है इसमें कोई दो राय नहीं है
ReplyDeleteराजेश जी,बहुत सारगर्भित बातें बताई है आपने.
Deleteहार्दिक आभार जी.
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएँ
ReplyDelete--- शायद आपको पसंद आये ---
1. Auto Read More हैक अब ब्लॉगर पर भी
2. दिल है हीरे की कनी, जिस्म गुलाबों वाला
3. तख़लीक़-ए-नज़र
आपको भी बहुत बहुत शुभकामनाएँ,विनय जी.
Deleteमेरे ख्याल से ब्लोगिंग में पाठक सबसे महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं... आपका इंटर व्यू देखकर बहुत अच्छा लगा... जन्माष्टमी बधाई और शुभकामनायें...
ReplyDeleteसंध्या जी,हार्दिक आभार एवं मेरी भी शुभकामनाएँ.
Deleteअल्पना जी ने जो बातें कही हैं उससे अधिक कुछ कह पाने की गुंजाईश नहीं बन पा रही है. आपके साक्षात्कार को भी देख लिया. अच्छा लगा.
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका.
Deleteआपकी कई सारी पोस्ट्स पढ़ी है..... सभी अर्थपूर्ण रहीं ....ब्लॉग्गिंग में संवाद बना रहे इससे बेहतर क्या हो सकता है......
ReplyDeleteआप बहुत सही कह रहीं हैं,मोनिका जी.
Deleteहार्दिक आभार जी.
Kuchh baten dil ke bahlane ke liye bhi hoti hain....
ReplyDelete............
कितनी बदल रही है हिन्दी!
जी हाँ जाकिर भाई.
Deleteशुक्रिया जी.
सबसे पहले तो आपको बहुत-बहुत बधाई ..
ReplyDeleteब्लॉग्गिंग के विषय में आपके विचार पढ़े
सहमत हूँ आपकी बातों से,,फोलोवर्स और टिपण्णी को
देखकर तो अच्छा ही लगता है..ख़ुशी मिलती है...
की,इतने सरे लोग हमारी बातों को ,विचारो , कविता
लेख को पसंद करते है...
और इनमे से कुछ लोग तो बहुत अच्छे दोस्त भी बन जाते है..
आप की बात से मैं सहमत हूँ रीना जी.
Deleteआपकी सुन्दर टिपण्णी के लिए शुक्रिया जी.
Aapke Utsahvardhan par mera saduvad svikarein Shriman....Aapki rachna Hindee Kalpgyta ko ubhartee rahi, parntu vishyantar dwara aapki lekhni ati prabhav purna hai | main koi namvar to nahi kintu sahityik samjh ka chota sa bhag janne ka jigyasoo zaroor hoon. manniy is alpgyat parshansak par sadeiv kripadrishti banae rakhiyega .....
ReplyDeletePrady जी,
Deleteमेरे ब्लॉग पर आपके आने का शुक्रिया जी.
एक दुसरे का प्रेम भाव बना रहे,
यही ब्लोगिंग की सार्थकता है जी.
आदरणीय गुरूजी नमस्ते मै भी आपका फालोवर हूँ ये बात अलग है कि मै कई महीनो से नेट पर उपस्थित नहीं हो पा रहा हूँ किन्तु फिर भी ये दिल आपके ही पास है ...ब्लागिंग के विषय में बहुत सुन्दर विचार हैं आपके ...जिस में से एक विचार सार सार को गहि रहे थोथा देय उडाय का अनुसरण करने कि कोशिश भी कर रहा हू ....
ReplyDeleteआपका प्रेम मेरे लिए बहुत माने रखता है,मदन जी.
Deleteबहुत प्रसन्नता मिलती है आपको यहाँ देख कर.
स्वतंत्रता दिवस महोत्सव पर बधाईयाँ और शुभ कामनाएं
ReplyDeleteगुरूजी प्रणाम .. डबल छक्के की और आजादी की बधाई , बहुत ही यथार्थ परक लेख |समयाभाव से ग्रस्त फ्लोवर हमेशा ही छोटे पोस्ट को ज्यादा पसंद करते है | उनके न आने या टिप्पणी न देने का मतलब - अनुपस्थिति न समझनी चाहिए | कभी - कभी वे पढ़ कर भी कुछ न कह पाते है | वैसे ब्लॉग्गिंग में पोस्ट अच्छे और सामाजिक होने चाहिए | अन्य लिंक पर जाने का प्रयास करूगा |
ReplyDeleteगोरखनाथ जी,आप सही कह रहे हैं.
Deleteहार्दिक आभार जी.
Rakesh ji.....apne bilkul sahi likha hai...readers aur followers kay bare main....followers badhte hain tho sach mai man ko accha lagta hai....aur comments bhi bahut imp hote hain...wo hume aur accha likhne ki prerna dete hain hamesha ....
ReplyDeletevideo dekha....sach janiye bahut accha laga...bahut batein bhi samajh ayi...shukriya apka
ReplyDeleteरेवा जी,हार्दिक आभार जी.
Deleteराकेश जी...कभी कभी समय अभाव भी लाचार कर देता है दैनिक जीवन में विभागीय और पारिवारिक कर्तब्यों का निर्वाहन भी बाँध देता है ...............आपके ब्लॉग और आलेख के प्रति उत्सुकता सदा बनी रहती है ..विलम्ब से आने के लिए क्षमा सहित.....
ReplyDeleteश्रीप्रकाश जी,आपके आने से मुझे बहुत प्रसन्नता मिलती है.
Deleteव्यस्तता के बाबजूद आपका यहाँ आना मेरे लिए बहुत बड़ी बात है जी.
ख़ूबसूरत पोस्ट
ReplyDeleteकृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारने का कष्ट करें.
आभार शुक्ल जी.
Deleteआपकी पोस्ट बहुत ही अच्छी लगी जी.
आपके विचार बहुत सुन्दर और सार्थक लगे...आभार
ReplyDeleteआभार,कैलाश जी
Deleteनमस्कार,
ReplyDeleteसबसे पहले तो आपकी पोस्ट पर देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ क्यूंकि कल ही वापस आई हूँ इंडिया से इसलिए बहुत दिनों से नेट पर आना नहीं हुआ,अब सबकी पोस्ट पढ़ रही हूँ जल्द ही मेरे अनुभव पर कुछ लिखने का मन है उम्मीद है आपका और हमारा संवाद आगे भी यूं ही बना रहेगा...इस बार भी आपके विचार बहुत सुंदर और सार्थक लगे। आभार
नमस्कार पल्लवी जी,
Deleteइण्डिया से वापिस आने पर आपके पास अनुभवों
का पिटारा हो गया होगा जी.आपके अनुभवों में हर बार
कुछ न कुछ नया होता है.आपसे संवाद करना बहुत
ही अच्छा लगता है
समय सबसे बड़ा कारक है, इसी के अभाव में कई बार मन को मारना पड़ता है, पर प्रेम तो प्रेम है, वह तो अमर ही रहेगा ....
ReplyDeleteजी हाँ अरुण जी.
Deleteप्रेम तो प्रेम है वह तो अमर ही रहेगा.
समय के साथ तो सभी जूझ रहे हैं जी.
फौलोअर्स का ब्लॉगिंग में बहुत महत्व है...फौलोअर्स बढ़ते हैं तो लिखने का उत्साह भी बढ़ता है...
ReplyDeleteकभी कभी पोस्ट पढ़ लेते हैं पर टिप्पणी नहीं दे पाते...इसके पीछे समय भी एक कारण रह सकता है|आपकी यह पोस्ट अच्छी है...हमें भी सबके विचार जानने का मौका लगा...आभार !!
आप से सहमत हूँ ऋचा जी.
Deleteफालोअर्स के लिए रीडर्स न रह पाने का
बहुत बड़ा कारण समयाभाव भी है.
लेकिन इस कारण अपने फालोअर्स से प्यार न किया जाए,
इसे मैं उचित नही समझता.
प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार.
अमेरिका के टी.वी. चैनल पर आपके साक्षात्कार के बारे में जानकर खुशी हुई, बधाई
ReplyDeleteआपको।
फालोवर्स और रीडर्स के बिना ब्लागिंग का कोई अर्थ नहीं है।
जी महेंद्र जी.आप सही कह रहे हैं.
Deleteबधाई के लिए आपका हार्दिक आभार जी.
मैंने आपका साक्षात्कार पहले देखा है .. बहुत खुशी हुई ... किन्तु मैं अपनी टिपण्णी नहीं कर सकी इस बात का भी दुःख है... मैं इन दिनों अपनी चिकित्सीय सेवाओं को ले कर कुछ असमंजस में हूँ .. और बेहद परेशान भी ... इतना अधिक कार्यभार है कि मुझे अपनी पसंद न पसंद सोचने का भी वक़्त नहीं मिलता .. मन में यह बात पहले से ही है कि आपकी हनुमान लीला की पूर्व पोस्ट से गुजरी हूँ किन्तु पूरा ना पढ़ने की वजह से टिपण्णी नहीं कर पायी... और वही पर जाम सा लग गया ..
ReplyDeleteआपकी इस पोस्ट के सन्दर्भ में मेरा मानना है कि फोलोवर बनना या फोलोवर होने की महत्ता है ब्लोगिंग में ..किन्तु यह तब तक पूर्ण नहीं जब तक फोलोवर एक रीडर न हो ..फोलोवर को आपकी नयी पोस्ट को अपडेट करने में सुविधा तो होती है ...किन्तु बात यह भी है कि उसको आपकी पोस्ट और आपके ब्लॉग में रूचि है कि नहीं... सादर
मैं कह नही सकता कि आपके मेरे ब्लॉग पर आने से
Deleteमुझे कितनी खुशी मिलती है.आप अत्यंत व्यस्त हैं,
फिर भी आप मेरे ब्लॉग पर आईं,इसके लिए मैं
हार्दिक आभारी हूँ,नूतन जी.आपके विचारों से मैं
सहमत हूँ.
dhanyvaad Rakesh ji..
Deleteज्ञान गंगा प्रवाहित होती रहे!
ReplyDeleteसादर!
Good to go through the views!
आपका हार्दिक आभार,अनुपमा जी.
Deleteप्रवीण जी की बात से पूर्णतः सहमति है बिना पाठक ब्लॉगिंग मे उत्साह बानये रखना कठिन है।
ReplyDeleteजी पल्लवी जी.
Deleteपर जो बात मैंने प्रवीण जी से शेयर
करने की लिए कही,हो सके तो आप भी
उसपर अपने विचार शेयर कीजियेगा.
आपकी हर पोस्ट बहुत ज्ञान बर्धक होती है ........मैं खुद समयाभाव की वजह से ब्लॉगिंग को ज्यादा समय नहीं दे पाती .........सार्थक साक्षात्कार के लिए आपको बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएँ !
ReplyDeleteसमयाभाव के बाद भी आपने मेरे ब्लॉग को याद किया.
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका सोनरूपा जी.
America me to ham bhi rahte hain hame to aapne nahi bataya please agli baar jab bhi aaiye jarur bataiyega .
ReplyDeleteaapka interview dekha bahut hi achchha laga .bahut bahut badhai
saader
rachana srivastava
जी,अबकी बार आपको जरूर बता कर आऊंगा जी.
Deleteमेरे ब्लॉग पर आपके आने का हार्दिक आभार,रचना जी.
I watched your video on youtube and I liked it very much! All followers are important but some are very special because they are a source of inspiration, they question your thought process, they encourage your talent and some even help to spread your message. For me you, Bushan sir and Rashmi Prabha ji are such people and I wouldn't want to call you follower… but actually my leaders… so I am not sure if 'followers' is the right term for all the readers :-)
ReplyDeleteआपको शत शत नमन अंजना जी.
Deleteआप जैसी फालोअर और रीडर पाकर
मैं सच में धन्य हूँ जी.
आपकी नई पोस्ट के इंतजृार में ।
ReplyDeleteआशा जी,शीघ्र ही नई पोस्ट लिखता हूँ.
Deleteआपको इन्तजार कराने के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ जी.
''फालोवर्स और रीडर्स'' मतलब दोतरफा संवाद..इसके बिना कोई सम्बन्ध अधूरा होता है.आपको बधाई..
ReplyDeleteधन्यवाद अमृता जी.
Deleteटी.वी. चैनल पर आपके साक्षात्कार के बारे में जानकर खुशी हुई पोस्ट पर देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी
ReplyDeleteदेर आये दुरस्त आये.
Deleteआपके आने का आभार,संजय जी.
देर सवेर ब्लोग्स तक पहुंचना भी आत्मीयता का बोध कराता है ....नए रिश्ते तो बनते ही हैं
ReplyDeleteबहुत सही कहा है आपने,वन्दना जी.
Deletenice and useful interview ....this is learning period for me....
ReplyDeleteThanks,mark rai ji.
Deleteराकेश जी,,,,बहुत दिन हो गए अब नई पोस्ट लिख डाले,,,,इन्तजार में,,,,
ReplyDeleteRECENT POST -मेरे सपनो का भारत
जी धीरेन्द्र जी,जल्दी ही नई पोस्ट लिखता हूँ.
Deleteआपकी पोस्ट 'मेरे सपनों का भारत' प्रेरक और लाजबाब है.
राकेश जी, आपने जब से लिखना शुरू किया है लगभग हर पोस्ट मैंने पढ़ी है, आपका ब्लॉग बहुत अच्छा है, विषय को आप गहराई से समझते हैं, विषय प्रिय हो तभी यह सम्भव है, आप यह भी चाहते हैं कि आपके ब्लॉग को पढ़ने वाले तथा फौलो करने वाले बड़ी संख्या में हों, आप के पास धैर्य है और आप सबके पास जाकर उन्हें प्यार से, मनुहार से मनाते हैं, ऐसा कम ही लोग कर पाते हैं, जहां तक मेरी बात है मैंने कभी यह जानने का प्रयत्न नहीं किया कि कौन मेरे ब्लॉग को फौलो कर रहा है, आपकी बात से सहमत हूँ कि उनकी कदर करनी चाहिए, उनसे मेलजोल बढाना चाहिए तब वे भी अच्छे पाठक बनेंगे.
ReplyDeleteयदि बात अच्छी और सच्ची हो तो वह अधिक से अधिक सुधिजनों तक
Deleteपहुंचानी चाहिये,यही मेरा ब्लॉगिंग का उद्देश्य है.
मैं शुरू से ही आपसे सुन्दर प्रेरणा पाता रहा हूँ.
मेरे ब्लॉग पर आपका आना मेरा सौभाग्य है.
हार्दिक आभार,अनीता जी.
ब्लोगिंग में फालोअर्स, पाठक और टिप्पणीकर्ता पर बहुत सार्थक चर्चा उठाई राकेश जी.....आपके तथा अन्य मित्रों के विचार जानकर अच्छा लगा...
ReplyDeleteहार्दिक आभार डॉ शरद जी.
Deleteमेरी समझ में तो ब्लोगिंग बिना फालोइंग और रीडिंग के अधूरी सी ही है.
ReplyDeleteराकेश जी नमस्कार ,
मैं आपकी बात से पूर्णतया सहमत हूँ ...!रीडर्स और फोलोअर्स का ब्लोगिंग में बहुत महत्व है |उन्हीं टिप्पणी से अच्छा लिखने की प्रेरणा मिलती है इसमें कोई शक नहीं..!!विषयांतर अच्छा रहा किन्तु हमें तो आपकी धार्मिक और आध्यात्मिक ज्ञानवर्धक पोस्ट का अब पुनः इंतज़ार है ..!!आशा है आप शीघ्र पोस्ट करेंगे .!
आभार एवं शुभकामनाएं ...!!
मेरे ब्लॉग पर आपकी सुन्दर टिपण्णी के लिए आभार.
Delete'हनुमान लीला भाग-६' जल्द ही लिखने का प्रयास करूँगा.
देरी के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ.
शालिनी जी, मेरे ब्लॉग पर आपके आने का हार्दिक आभार.
ReplyDeleteआपकी पोस्ट बहुत ही सार्थक व जानकारीपूर्ण है.
आपका हार्दिक आभार शास्त्री जी.
ReplyDeleteफोलोअर्स और टिप्पणियों की संख्या निश्चय ही लेखक को प्रोत्साहित करती हैं. लेकिन फोलोअर्स बनने के लिये किसी से कहना उचित नहीं लगता. अगर आप को किसी का लेखन अच्छा लगता है तो आप स्वयं ही उसके फोलोअर बन जायेंगे. केवल इस आशा से किसी का फोलोअर बनना कि वह भी आपका फोलोअर बन जाएगा या उससे ऐसा करने के लिये कहना उचित नहीं लगता.
ReplyDeleteअपनी अपनी सोच हो सकती है.
Deleteजैसा उचित जान पड़े करना चाहिये.
चाहना तो हो,पर झिझक भी हो,
तो या तो चाहत को दूर करना चाहिये
या झिझक को.
आभार,कैलाश जी.
एक क्लिक पर
ReplyDeleteफोलौवर बन
जाता है कोई
उसके बाद फौलो
नहीं भी कर
पाता है कोई
चित्रों में ब्लाग
पर नजर फिर भी
आता है कोई
ब्लाग परिवार का
सदस्य बन
जाता है कोई
अपने ब्लाग पर
नहीं भी दिखे
कई दिन तक कोई
इधर उधर आते जाते
कहीं तो फिर भी
टकरा जाता है कोई !
सुशील जी आपका हार्दिक स्वागत है.
Deleteक्या खूब कहा है आपने.
आभार जी.
अगर किसी का लेखन अच्छा लगता है तो उसका फोलोअर बनना ही चाहिये इससे एक निरंतरता बनी रहती है. सिर्फ एक्सचेंज के लिये इसका उपयोग गलत है.
ReplyDeleteजी,सही कहा आपने.
ReplyDeleteआभार रचना जी.
.
ReplyDeleteबहुतों के मुंह से सुना की ब्लॉगिंग का मज़ा तो बस टिप्पणियों से है , इससे लेखक का उत्साह बना रहता है !
बिलकुल गलत है ये धारणा ! अरे जनाब एक से एक टिप्पणियां आती हैं जो खून पी जाती हैं ! अतः ये कहना की टिप्पणियां उत्साह बढाती हैं एकदम गलत बात है !
कुछ लोगों की फितरत ही होती है की काट खाते हैं टिप्पणियों में !
अपनी तो एक ही आदत है , बिंदास लिखो , जिसको काटेगा वो अगले स्टेशन जाएगा ! लेकिन भईया विवादों के चक्रव्यूह में पडना अपने बस का नहीं है , बहुत होमवर्क करनी पड़ती है !
सच्चा लेखक वही है जिसके अन्दर जूनून है, जज्बा है ...और जिसके पास कोई उद्देश्य है ! लिखने की ऊर्जा और हौसला तो अन्दर से आता है ! प्रेरणा स्रोत तो आपके अन्दर का जूनून ही है ! अगर जूनून नहीं है तो लेखन व्यर्थ है ! अगर लेखन दिशाहीन है तो भी व्यर्थ है ! अगर आपका लेखन दूसरों की प्रशंसा किये जाने पर निर्भर है तो भी आपका लेखन व्यर्थ है !
दिल की ही सुना जाता है और दिल से ही लिखा जाता है !
हम लिखते हैं अपने विचारों को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँचाने के लिए ! हमें पढने वाले पाठकों की संख्या ही हमारे लेखन की सच्ची सफलता है ! भले ही कोई टिपण्णी लिखे या न लिखे !
टिपण्णी तो बस एक सामाजिक रस्मो-रिवाज़ बन कर रह गयी है --एक हाथ से दे, एक ही हाथ से ले, गलती से भी दो हाथ न होने पाए !
कुछ दशक पूर्व तक जब मुंशी प्रेमचंद्र, दिनकर, मथिलीशरण गुप्त , बिस्मिल , बच्चन और प्रसाद का लेखन था तो कौन था वहाँ टिपण्णी लिखने वाला ? कौन सी टिपण्णी उन्हें ऊर्जा देती थी ?
ऊर्जा , प्रेरणा, जूनून सब अन्दर से आता है !
.
सुन्दर मार्ग दर्शन के लिए आभार,दिव्या जी.
ReplyDeleteकहते है बच्चों को थपकी देने से उनका
विकास होता है.ब्लॉग जगत में हम अभी
बच्चे ही तो हैं.खून जलाने वाली ही नही
खून बढाने वाली भी तो टिप्पणियों होतीं हैं.
मेरा विषय ब्लोगिंग में फालोअर्स को लेकर के था.
इस पर भी आपके विचार जानने को मिलते
तो और भी अच्छा लगता.
आज नवरात्रि की बैठकी है - सभी को बहुत बहुत सी बधाईयाँ और शुभकामनायें :) :) :)
ReplyDeleteहर बात का अपना अपना महत्व है...मुद्दा है कि आप उसका कैसे इस्तेमाल करते हैं...दियासिलाई है...दीया जला कर माहौल रोशन करलो या घर फूँक तमाशा देखो...सबको अपने हिसाब और सयम विवेक से तय करना है...फॉलोवर ऑप्शन के इस्तेमाल पर भी यही लागू होता है...
ReplyDeleteअब आपका यूँ ट्यूब देखेंगे.
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