मेरी पिछली पोस्ट 'हनुमान लीला भाग-५' में प्रेम सरोवर जी और डॉ. टी एस दराल जी ने मुझे विषयान्तर और विषय में विविधता लाने की सलाह दी है. मुझे लेखन का अधिक अभ्यास नही है.अभी तक जो विषय मुझे दिल से प्रिय है, उसी पर मैंने अपनी सोच आप सभी सुधि जनों के समक्ष रक्खी और आप सुधि जनों ने उसका स्वागत ही नही किया बल्कि सुन्दर टिप्पणियों से मेरा भरपूर उत्साहवर्धन भी किया है . 'हनुमान लीला' की अगली कड़ी आपके समक्ष प्रस्तुत करने से पहले,मेरा विचार है कि इस बार कुछ विषयान्तर कर लिया जाये .
इस पोस्ट में मैं 'ब्लोगिंग में 'फालोअर्स' का क्या महत्व है' पर मैं आप सभी के विचार जानना चाहूँगा.
मई २०१२ में मुझे अमेरिका जाने का अवसर प्राप्त हुआ था. मैं सरू सिंघल जी के ब्लॉग 'Words' का फालोअर
और रीडर रहा हूँ,जो अमेरिका में न्यू जर्सी में रहती हैं.मैं अमेरिका की प्रमुख हिंदी चैनल 'ITV' के Director अशोक व्यास जी के ब्लॉग Naya Din Nayee Kavita का भी फालोअर और रीडर हूँ,जो न्यूयॉर्क में रह रहे हैं.मैंने अपने अमेरिका के प्रोग्राम की सूचना जब सरू सिंघल जी और अशोक व्यास जी को दी तो दोनों ने ही मेरे अमेरिका आने का दिल से स्वागत किया और अमेरिका में हम तीनों को न्यूयॉर्क में मिलने का सुअवसर मिला.इस मिलन में अशोक व्यास जी ने सरू जी और मुझ से हिंदी ब्लोगिंग पर अपने विचार और अनुभव प्रस्तुत करते हुए ITV चैनल के लिए एक प्रोग्राम शूट करने का प्रस्ताव किया,जिसके फलस्वरूप ३१ मई २०१२ को सरू जी और मुझे ब्लोगिंग के बारे में अपने विचार और अनुभव प्रस्तुत करने का ITV चैनल पर सुनहरा मौका मिला. इसका श्रेय मैं ब्लोगिंग में अपनी 'फालोइंग' और 'रीडिंग' को ही देना चाहूँगा.
क्योंकि सरू जी और अशोक जी के ब्लोग्स की फालोइंग से ही समय समय पर मैं इनके द्वारा लिखी गयी पोस्ट पढ़ पाया और फिर आपसी विचारों के आदान प्रदान से मुझे निकटता और घनिष्ठता का अनुभव हुआ..
मेरे और सरू जी के इंटरव्यू का यू ट्यूब लिंक http://youtu.be/IcWHN6UzHKI अशोक व्यास जी ने
दिया है.जिसका अवलोकन आप सभी सुधिजन कर सकते हैं.इस इंटरव्यू में मैंने और सरू जी ने
'ब्लोगिंग में फालोअर्स की महत्ता' के बारे में भी अपने अपने विचार प्रकट किये हैं. यह इंटरव्यू करीब
२५-२६ मिनिट का है. जो भी सुधिजन इसे पूरा देखना चाहें वे पूरा देखें.लेकिन जिन के पास समय का
अभाव है उनसे मेरा अनुरोध है कि वे अंतिम के १० मिनिट का इंटरव्यू अवश्य देखें.
इस इंटरव्यू पर निधि जी ने उक्त यू ट्यूब लिंक पर अपने निम्नलिखित विचार प्रस्तुत किये हैं.
Readers are a subset of Followers only. Followers like what you write on your blog, no matter how these followers were made...among these, there are some genuine ones who truly like your style of writing & want to keep themselves up-to-date about your blog. They may not read you due to various constraints (time, language). They can't be totally ignored and disregarded. After all, a superstore's popularity is determined not only by buyers but by the footfalls, window shoppers & loiterers too!
किसी भी ब्लॉग को 'रीडिंग' करने में उसके 'फालोइंग' करने से बहुत सुविधा हो जाती है.मेरी समझ में किसी भी ब्लॉग पर बहुत से फालोअर्स को देखकर उस ब्लॉग को सम्मानित दृष्टि से भी देखा जाता है. ब्लॉग के अधिकतर रीडर्स 'फालोअर्स' में से ही होते हैं.यह जरूरी नही है कि सभी फालोअर्स हमेशा 'रीडर' बने रहें.इसके बहुत से कारण हो सकते हैं. फालोअर्स के पास समयाभाव, फालोअर्स के ब्लॉग पर ब्लोगर का न जा पाना,फालोअर्स की रूचि में परिवर्तन होना,पोस्ट की भाषा और विषय को फालोअर्स द्वारा न समझ पाना, ब्लोगर और फालोअर्स के बीच कोई मतभेद हो जाना आदि आदि.
मुझे अपने ब्लॉग के सभी फालोअर्स बहुत अच्छे लगते हैं.हालाँकि न तो सभी फालोअर्स के ब्लोग्स पर मैं जा पाता हूँ और न ही सभी फालोअर्स मेरे ब्लॉग पर आ पाते हैं,परन्तु फिर भी मुझे मेरे फालोअर्स प्यारे है.रीडर्स और फालोअर्स दोनों के बढते रहने से मेरा उत्साहवर्धन होता है.फालोअर्स मेरे लिए सम्मानित अतिथि हैं,जिनको अपने ब्लॉग पर देख कर मुझे हर्ष होता है.स्वस्थ ब्लोगिंग की दृष्टि से क्या फालोअर्स को बिलकुल नजरअंदाज किया जाना चाहिये ? क्या फालोअर्स जो रीडर नही हैं को भी रीडर बनने के लिए, यदि संभव हो सके, प्रोत्साहित नही किया जाना चाहिये ? क्या रीडर्स को फालोअर्स बनने के लिए आमंत्रित नही किया जाना चाहिये ? क्या फालोइंग का आमंत्रण देने में कोई हानि है?मेरी समझ में तो ब्लोगिंग बिना फालोइंग और रीडिंग के अधूरी सी ही है.
सरू जी , मेरे और निधि जी के विचार आपके समक्ष प्रस्तुत हैं. सरू जी के पाठकों ने अपने अपने विचार उनकी पोस्ट "Discussion on Blogging on ITV Gold": पर प्रस्तुत किये हैं.
'ब्लोगिंग में फालोअर्स का क्या महत्व है' पर आप सुधि जनों के विचार और अनुभव भी मैं अपनी इस पोस्ट पर विशेष रूप से जानना चाहूँगा.
कृपया, अपने बहुमूल्य विचारों और अनुभवों से उचित मार्गदर्शन कीजियेगा.
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इस पोस्ट में मैं 'ब्लोगिंग में 'फालोअर्स' का क्या महत्व है' पर मैं आप सभी के विचार जानना चाहूँगा.
मई २०१२ में मुझे अमेरिका जाने का अवसर प्राप्त हुआ था. मैं सरू सिंघल जी के ब्लॉग 'Words' का फालोअर
और रीडर रहा हूँ,जो अमेरिका में न्यू जर्सी में रहती हैं.मैं अमेरिका की प्रमुख हिंदी चैनल 'ITV' के Director अशोक व्यास जी के ब्लॉग Naya Din Nayee Kavita का भी फालोअर और रीडर हूँ,जो न्यूयॉर्क में रह रहे हैं.मैंने अपने अमेरिका के प्रोग्राम की सूचना जब सरू सिंघल जी और अशोक व्यास जी को दी तो दोनों ने ही मेरे अमेरिका आने का दिल से स्वागत किया और अमेरिका में हम तीनों को न्यूयॉर्क में मिलने का सुअवसर मिला.इस मिलन में अशोक व्यास जी ने सरू जी और मुझ से हिंदी ब्लोगिंग पर अपने विचार और अनुभव प्रस्तुत करते हुए ITV चैनल के लिए एक प्रोग्राम शूट करने का प्रस्ताव किया,जिसके फलस्वरूप ३१ मई २०१२ को सरू जी और मुझे ब्लोगिंग के बारे में अपने विचार और अनुभव प्रस्तुत करने का ITV चैनल पर सुनहरा मौका मिला. इसका श्रेय मैं ब्लोगिंग में अपनी 'फालोइंग' और 'रीडिंग' को ही देना चाहूँगा.
क्योंकि सरू जी और अशोक जी के ब्लोग्स की फालोइंग से ही समय समय पर मैं इनके द्वारा लिखी गयी पोस्ट पढ़ पाया और फिर आपसी विचारों के आदान प्रदान से मुझे निकटता और घनिष्ठता का अनुभव हुआ..
मेरे और सरू जी के इंटरव्यू का यू ट्यूब लिंक http://youtu.be/IcWHN6UzHKI अशोक व्यास जी ने
दिया है.जिसका अवलोकन आप सभी सुधिजन कर सकते हैं.इस इंटरव्यू में मैंने और सरू जी ने
'ब्लोगिंग में फालोअर्स की महत्ता' के बारे में भी अपने अपने विचार प्रकट किये हैं. यह इंटरव्यू करीब
२५-२६ मिनिट का है. जो भी सुधिजन इसे पूरा देखना चाहें वे पूरा देखें.लेकिन जिन के पास समय का
अभाव है उनसे मेरा अनुरोध है कि वे अंतिम के १० मिनिट का इंटरव्यू अवश्य देखें.
इस इंटरव्यू पर निधि जी ने उक्त यू ट्यूब लिंक पर अपने निम्नलिखित विचार प्रस्तुत किये हैं.
Readers are a subset of Followers only. Followers like what you write on your blog, no matter how these followers were made...among these, there are some genuine ones who truly like your style of writing & want to keep themselves up-to-date about your blog. They may not read you due to various constraints (time, language). They can't be totally ignored and disregarded. After all, a superstore's popularity is determined not only by buyers but by the footfalls, window shoppers & loiterers too!
किसी भी ब्लॉग को 'रीडिंग' करने में उसके 'फालोइंग' करने से बहुत सुविधा हो जाती है.मेरी समझ में किसी भी ब्लॉग पर बहुत से फालोअर्स को देखकर उस ब्लॉग को सम्मानित दृष्टि से भी देखा जाता है. ब्लॉग के अधिकतर रीडर्स 'फालोअर्स' में से ही होते हैं.यह जरूरी नही है कि सभी फालोअर्स हमेशा 'रीडर' बने रहें.इसके बहुत से कारण हो सकते हैं. फालोअर्स के पास समयाभाव, फालोअर्स के ब्लॉग पर ब्लोगर का न जा पाना,फालोअर्स की रूचि में परिवर्तन होना,पोस्ट की भाषा और विषय को फालोअर्स द्वारा न समझ पाना, ब्लोगर और फालोअर्स के बीच कोई मतभेद हो जाना आदि आदि.
मुझे अपने ब्लॉग के सभी फालोअर्स बहुत अच्छे लगते हैं.हालाँकि न तो सभी फालोअर्स के ब्लोग्स पर मैं जा पाता हूँ और न ही सभी फालोअर्स मेरे ब्लॉग पर आ पाते हैं,परन्तु फिर भी मुझे मेरे फालोअर्स प्यारे है.रीडर्स और फालोअर्स दोनों के बढते रहने से मेरा उत्साहवर्धन होता है.फालोअर्स मेरे लिए सम्मानित अतिथि हैं,जिनको अपने ब्लॉग पर देख कर मुझे हर्ष होता है.स्वस्थ ब्लोगिंग की दृष्टि से क्या फालोअर्स को बिलकुल नजरअंदाज किया जाना चाहिये ? क्या फालोअर्स जो रीडर नही हैं को भी रीडर बनने के लिए, यदि संभव हो सके, प्रोत्साहित नही किया जाना चाहिये ? क्या रीडर्स को फालोअर्स बनने के लिए आमंत्रित नही किया जाना चाहिये ? क्या फालोइंग का आमंत्रण देने में कोई हानि है?मेरी समझ में तो ब्लोगिंग बिना फालोइंग और रीडिंग के अधूरी सी ही है.
सरू जी , मेरे और निधि जी के विचार आपके समक्ष प्रस्तुत हैं. सरू जी के पाठकों ने अपने अपने विचार उनकी पोस्ट "Discussion on Blogging on ITV Gold": पर प्रस्तुत किये हैं.
'ब्लोगिंग में फालोअर्स का क्या महत्व है' पर आप सुधि जनों के विचार और अनुभव भी मैं अपनी इस पोस्ट पर विशेष रूप से जानना चाहूँगा.
कृपया, अपने बहुमूल्य विचारों और अनुभवों से उचित मार्गदर्शन कीजियेगा.
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